अभी निजी आइटीआइ में जो शिक्षक या अनुदेशक हैं वो या तो सामान्य इंजीनियरिंग किये हुये है या फिर आईटीआई पास. विशेषज्ञता किसी को हासिल नहीं रहती है. सरकारी आईटीआई की स्थिति इससे बहुत अलग नहीं है. सरकारी आइटीआइ में अनुदेशकों की भारी कमी है. 1100 से अधिक पद काफी समय से खाली है.
अभी राज्य में 1061 निजी आईटीआई और सौ से अधिक सरकारी आईटीआई है. श्रम संसाधन विभाग सरकारी और निजी आईटीआई की गुणवत्ता में सुधार के लिए संकल्पित है. निजी आईटीआई को लेकर सरकार गंभीर है. पिछले दिनों मुख्यमंत्री के स्तर पर हुई समीक्षा बैठक में निजी आइटीआइ के निरीक्षण करने को कहा ताकि यह देखा जा सके कि कि वो निर्धारित मानक व मापदंड के अनुसार है कि नहीं. इसकी जांच के लिए विशेष टीम गठित की जा रही है.
- राज्य में अभी अनुदेशकों को ट्रेनिंग देने के लिए कोई संस्थान नहीं है. सरकार की योजना इस तरह के संस्थान को खोलने की है. इसमें लेकिन अभी समय लगेगा. अभी उपलब्ध संसाधन में बेहतर करने का प्रयास किया जा रहा है.
-दीपक कुमार, प्रधान सचिव, श्रम विभाग
ट्रेंड अनुदेशकों को रखना है आईटीआई में
राज्य में ट्रेंड अनुदेशकों को रखने में दिक्कत यह है कि यहां इस तरह का कोई संस्थान नहीं है. जहां बीएड के तर्ज पर आईटीआई में पढ़ाने वालों को ट्रेंड किया जा सके. इसके लिए दो तरह का कोर्स है. क्राफ्टमैन और एडवांस ट्रेनिंग. कोलकता, कानपुर, चेन्नई, भुवनेश्वर, मुंबई और दिल्ली में इस तरह का ट्रेनिंग सेंटर हैं . राज्य में सरकारी और निजी आईटीआई में दो लाख से अधिक सीटें हैं. मानक के अनुसार 21 छात्र पर दो अनुदेशक होना है .
बनेगी नियमावली
आईटीआई में अनुदेशकों की भारीकमी से जूझ रहा श्रम संसाधन विभाग अनुदेशकों की बहाली के लिए नयी नियमावली बनाने की दिशा में कदम उठा चुका है. दो – तीन माह में नियमावली बनकर तैयार हो जायेगी. नियमावली के बाद बहाली की प्रक्रिया शुरू होगी . अभी अनुदेशकों की कमी को पूरा करने संविदा पर अनुदेशक रखे गये हैं.