अरवल प्रतिनिधि : बिहार वासियों का मशहुर महापर्व छठ व्रत समाप्त हो गया। जिले के ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों के लोग प्रायः प्रदेश में काम कर रहे हैं। छठ जैसे महान पर्व में अपने गाँव एवं शहर में प्रदेश के अपने वतर लौटते हैं एवं श्रद्धापूर्वक छठ व्रत में शामिल होते है। छठ व्रत समाप्त होते हीं अपनी रोजी रोटी के लिए प्रदेश कमाने के लिए चले जाते हैं। प्रदेश लौटने का सिलसिला जारी है। ज्ञात हो कि अरवल जिला रेल सुविधा से वंचित है। जिलेवासियों को सफर करने का एक मात्र साधन है सड़क मार्ग हीं है। जिले से रेलवे स्टेशन की दुरी 35 से 50 किमी है। जहाँ जाने के लिए या तो निजी वाहन या किराये की वाहन हीं एकमात्र सुविधा है। जिले वासियों को प्रदेश वापसी के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। डेढ़ गुणा से दुगुना पहले की अपेक्षा ज्यादा किराया देना पड़ रहा है वाहन चालकों को। बावजुद भी भेड़ बकरियों की तरह ठुस कर वाहन चालक मनमाना किराया वसुल रहे हैं। यात्रियों से बातचीत करने पर बताया कि अपने गाँव छठ व्रत करने लिए आया था। अब अपने काम पर वापस जा रहा हुँ। रोजी रोटी के लिए तो दुसरे प्रदेश में जाना पड़ता है। अपना प्रदेश में लोगो को रोजगार नहीं मिल पाता। जिससे परिवार चलाना मुश्किल होता है। जब-जब छठ पर्व आता है तब-तब पुरे परिवार के साथ आते है फिर चले जाते हैं। वाहन की किल्लत एवं मनमाने किराया पर बताया कि बस या मैक्सी में सिट मिले या मिले महिलाओं को किसी तरह बस के अंदर चढ़ाकर मैं तो बस के ऊपर भी बैठकर सफर कर लुँगा। जिले से रेलवे स्टेशन जाने का एकमात्र साधन निजी वाहन हीं है। सरकारी बस तो न के बराबर हीं अरवल से कहीं के लिए चलती है। किसी भी तरह की परेशानी उठाकर लोग सफर करने को विवश है।
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