डेस्क : भारतीय वायु सेना के मार्शल अर्जन सिंह का सोमवार को पूरे राजकीय सम्मान के साथ बरार स्क्वेयर में अंतिम संस्कार किया जा रहा है। मार्शल अर्जन के सम्मान में आज सभी सरकारी इमारतों में राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका दिया गया है। अर्जन सिंह का शनिवार को सेना के रिचर्स ऐंड रेफरल अस्पताल में निधन हो गया था। रविवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, पीएम नरेंद्र मोदी ने उनके अंतिम दर्शन किए थे और श्रद्धांजलि अर्पित की थी। पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने बरार स्क्वेयर पहुंचकर मार्शल अर्जन को श्रद्धांजलि दी। रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने भी बरार स्क्वेयर पर अर्जन सिंह को अंतिम विदाई दी।
सम्मान :: मार्शल अर्जन सिंह को दी जा रही अंतिम विदाई
अविभाजित भारत मेें जन्मे
अर्जन सिंह का जन्म 15 अप्रैल 1919 को अविभाजित भारत के लायलपुर में हुआ था। ये जगह अब पाकिस्तान के फैसलाबाद में है। 1938 को 19 साल की उम्र में RAF क्रेनवेल में उनका सेलेक्शन एम्पायर पायलट ट्रेनिंग के लिए हुआ। उनकी पहली पोस्टिंग नॉर्थ वेस्टर्न फ्रंटियर प्रॉविंस में वेस्टलैंड वापिटी बाइप्लेंस उड़ाने के लिए हुई। वे IAF की नंबर वन स्क्वॉड्रन के मेंबर थे। उन्हें कुछ वक्त के लिए नंबर 2 स्क्वॉर्डन में भी भेजा गया था। लेकिन, जब नंबर वन स्क्वॉड्रन को हॉकर हरिकेन प्लेन मिले तो सिंह को वापस बुला लिया गया। 1944 में उन्हें स्क्वॉड्रन लीडर बनाया गया और उन्होंने अराकान कैंपेन के दौरान जपानियों के खिलाफ टीम को लीड किया। बर्मा, इम्फाल में सक्सेसफुल कैंपेन लीड करने की वजह से 1944 में सिंह को डिस्टिंगुइश्ड फ्लाइंग क्रॉस (DFC) दिया गया।
आजादी के दिन 100 प्लेंस का फ्लाई-पास्ट लीड किया
15 अगस्त 1947 को सिंह को एक और सम्मान दिया गया। उन्हें दिल्ली के लाल किले के ऊपर से 100 IAF एयरक्राफ्ट्स के फ्लाई-पास्ट को लीड करने का मौका दिया गया। विंग कमांडर प्रमोट होने के बाद सिंह यूके के स्टाफ कॉलेज में भी गए और आजादी के तुरंत बाद उन्हें एयर ऑफिसर कमांडिंग, अंबाला बना दिया गया। 1949 में एयर कोमोडोर प्रमोट किए जाने के बाद सिंह ने एयर ऑफिसर कमांडिंग ऑफ ऑपरेशनल कमांड का जिम्मा संभाला। इसे ही बाद में वेस्टर्न एयर कमांड कहा गया। सिंह लगातार प्रमोट होते रहे और 1962 की जंग खत्म होते होते उन्हें DCAS बनाया गया और 1963 में वे VCAS बन गए।
डिफेंस मिनिस्टर से कहा: एक घंटे में 1 अगस्त 1964 को एयर स्टाफ का चीफ बने। इस दौरान देश को जंग का सामना करना पड़ा। पाकिस्तान ने ऑपरेशन ग्रैंड स्लैम लॉन्च किया। कश्मीर के अखनूर सेक्टर को पाकिस्तान के जवानों ने निशाना बनाया। यही वो वक्त था, जब तब के डिफेंस मिनिस्टर ने सिंह से एयर सपोर्ट के लिए कहा था। जब डिफेंस मिनिस्टर ने उनसे पूछा कि कितनी देर में एयर सपोर्ट मिल जाएगा तो सिंह ने कहा कि एक घंटे में। वाकई एक घंटे के भीतर एयरफोर्स ने पाकिस्तानी फौजों पर हमला बोल दिया। इस जंग में सिंह ने एयरफोर्स को लीड किया। अयूब खान की कश्मीर को हथियाने की कोशिश निश्चित तौर पर इंडियन आर्मी और इंडियन एयरफोर्स की बहादुरी की वजह से नाकाम हो गई।
IAF ऑफिशियल के मुताबिक 2016 में पानागढ़ बेस का नाम एयरफोर्स स्टेशन अर्जन सिंह कर दिया गया। इससे पहले एयरफोर्स ने किसी शख्स के नाम पर बेस का नाम नहीं रखा था। यहां IAF के स्पेशल ऑपरेशंस प्लेन C0130J रखे जाते हैं।