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अधिकारियों की मिली भगत से चकरनगर में शौचालयों के निर्माण कार्य में चल रहा खेल

ग्रामीणो का आरोप घटिया सामग्री व मानक के बिपरीत हो रहा शौचालयों का निर्माण।

चकरनगर(इटावा)रिपोर्टेर:डॉ.एस.बी.एस.चौहान।

विकासखंड चकरनगर के अंतर्गत प्रधानमंत्री के स्वप्न और विचारों को धरातल पर उतारने के लिए स्वच्छ शौचालयों का निर्माण कार्य युद्धस्तर पर चल रहा है। लाभार्थी भले ही उसका लाभ न ले पाऐं पर ठेकेदार, सरकारी मुहकमें में लगे अधीनस्थ कर्मचारी अधिकारी और अगैरा वगैरह खूब मोटी रकम तराशने में अपनी पारदर्शिता कायम किए हुए हैं। जिसके चलते लाख शिकायतें की जाएं पर उस पर सटीक कार्यवाही होने का नाम नहीं ले रही है। विकासखंड चकरनगर के अंतर्गत माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के सपनों को साकार करने और उनके बिचारों को सही तरीके से मूल्यांकन कर धरातल पर आरेखित करने के लिए जो प्रयास किए जा रहे हैं उसके बारे में न तो जिला प्रशासन अछूता है और ना ही संबंधित जनप्रतिनिधि। इसका आलेख सबकी नजरों में है। सब इस काली करतूती के जानकार हैं। अंजान बने कोई भी। बताते चलें कि स्वच्छ शौचालय मिशन के तहत सरकार की तरफ से ₹12000 उपभोक्ता के खाता में ट्रांसफर किए जाने चाहिए और उपभोक्ता उस पैसे के चलते सदुपयोग प्रधानमंत्री की मंशा को पूर्ण करने के लिए स्वच्छ शौचालय जिसे बनवाने के लिए हमारी जिलाधिकारी श्रीमती सेल्वा कुमारी जे दिन रात जी तोड मेहनत कर पसीना बहा रहीं हैं लेकिन उनके अधीनस्थ कर्मचारी इस योजना को धरातल पर कहां तक सही तरीके से उपलब्ध करा पा रहे हैं इसके लिए मैं आप को भोया की तरफ लेकर चल रहा हूं जहां पर पिछले दिवस मौके पर पहुंची पत्रकार टीम के द्वारा देखा गया की ग्राम भोया मैं स्वछता मिशन के तहत शौचालय बनवाए जा रहे हैं इस संबंध में जब ग्रामीणों से रूबरू होकर बात की गई तो किसी भी ग्रामीण ने यह कहने के लिए जुबान नहीं खोली कि यह अन्याय हो रहा है।

जो घटिया किस्म की ईंट, तीन प्रकार का रेत जिसमें रेत, मौरम और डस्ट का खुला इस्तेमाल के साथ सीमेंट की मात्रा कम। मानक के अनुरुप शौचालय ही नहीं, उसका आकार कम छत कटी छटी है। मानो छत पर टुकड़े रखे गए हों क्योंकि छत खुली हुई चित्र में भी प्रदर्शित हो रही है लेकिन जब यहां के ग्रामीणों से बात की गई तो ग्रामीणों ने यह कहते हुए कि सरकार की जैसी योजना है उसी योजना के तहत हमारे ठेकेदार महोदय बनवा रहे हैं जब उनसे यह कहा गया क्या आप सब संतुष्ट हैं तो उन्होंने कहा जो मिल रहा है वही सही लड़ने से तो वह भी नहीं मिलेगा। यहां की धन्य है भोली भाली जनता और धन्य हैं वो बेरहम अधिकारी कर्मचारी जो सीधी साधी जनता के गिरेबान पर हाथ डलवाकर उनका हलाल करवा रहे हैं। ईंट भी बिल्कुल घटिया किस्म की है। ग्रामीणों ने बताया यहां पर जाने पहचाने भारतीय जनता पार्टी से जुडे स्थानीय इकाई के युवा मोर्चा पदाधिकारी का नाम लेते हुए कहा की उन्हीं की मेहरबानी से यह हम लोगों को धटिया सुविधा मिली है। जब स्थानीय प्रतिनिधि से पूंछा गया तो उन्होंने इस सच्चाई को स्वीकारते हुए स्थानीय वरिष्ठ युवा मोर्चा के नेता का नाम लेते हुए बताया कि हम उनके सहयोग में काम कर रहे हैं। इसके बाद भोया गांव में राज/मिस्त्री द्वारा जब जानकारी ली गई तो उसने कैमरे के सामने बताते हुए कि यह एक स्थानीय वरिष्ठ युवा मोर्चा नेता के द्वारा मुझे उदी से यहां तक काम करने के लिए लाया गया है और मुझे वेतन और खाने के लिए व्यवस्था मिलती है मैं यहां पर रह कर के ही यह शौचालय बना रहा हूं जिसमें मैंने करीब दो दर्जन शौचालयों का निर्माण कर दिया है बाकी का कार्य जारी है हालांकि यहां पर इस बात का जिक्र पुनः किया जाना लाजिमी होगा कि निर्माणाधीन शौचालयों में जो भी घोटम घाला हो रहा है इसके बारे में लगभग सभी बाकिव हैं लेकिन समस्या तो इस बात की है कि जिले का मुखिया यह सब कुछ तो ठीक नहीं कर सकता, फिर कहां तक अपनी ताकत को झोंक कर ठीक किया जाए जब नीचे बैठे सभी भ्रष्टाचारी के लिए एक दूसरे का सहयोग कर रहे हैं। जांच जो भी आती है उसे भी अपने स्तर से पक्ष में रिपोर्ट लगाकर मामला दफना दिया जाता है इसी विनाय पर यह ठेकेदार लोग अपनी चलते मनमानी स्वच्छ शौचालय मिशन को चूना लगा रहे हैं। अधिकारी भी यह स्वच्छ शौचालय का आने वाला पैसा चयनित उपभोक्ताओं के खाते में नहीं डालते हैं सीधा निकालकर यह सब कुछ कालाबाजारी हो रही है। यहां पर इस बात को नहीं नकारा जा सकता कि बालू खनन किया जा रहा है जिस दिन बिरौना बाग के पास कुंवारी नदी में खनन माफियाओं और पुलिस के बीच में जो मुठभेड हुई थी उसी रात को भारी मात्रा में बालू गांव भोया में डम्प की गई जो प्रमाण के तौर पर दिखाई भी दे रही थी। भले ही वरिष्ठ अधिकारी इस बात को न जानते हों। अब देखना यह है कि ग्राम भोया में जो बडी तादात में बनाए जा रहे शौचालयों में मानक के अनुरूप सामग्री न दिए जाने से संबंधित जांच के लिए कोई जांच पैनल गठित कर जांच कराई जाएगी? यह तो भविष्य के गर्त में है।

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