दरभंगा : जिले के एक दुर्गा मंदिर में एक कुंवारी कन्या ने अपने ही हाथों मैया के समक्ष अपना आंख निकाल ली ।शनिवार को एक युवती ने मां दुर्गा का पट खुलते ही उन्हें अपनी बायीं आंख अर्पित कर दी। मामला जिले के बहेड़ी थाना क्षेत्र के सिरुआ गांव का है।
सुबह बेल न्यौति की रश्म के बाद युवती सोना धमसायर गांव स्थित दुर्गा मंदिर पहुंची। इसके साथ ही उसने मां की प्रतिमा के सामने अपनी आंख निकाल कर अर्पित कर दी। इसके बाद वह बेहोश होकर वहीं गिर पड़ी। उसे बेहोश होकर गिरते देख वहां अफरातफरी मच गई। महिला को आनन-फानन में डीएमसीएच में भर्ती करवाया गया है।
दरभंगा जिले के बहेड़ी थाने के सिरुआ गांव में आस्था की पराकाष्ठा का मामला सामने अाया है। शनिवार को देवी भक्त एक युवती ने मां दुर्गा को अपनी एक आंख अर्पित करने के लिए अपने ही हाथों से निकालने का प्रयास किया। इस क्रम में उसकी बायीं आंख गंभीर रूप से जख्मी हो गई।
- आंख रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ. मनोज कुमार ने बताया कि घायल युवती की आंख गंभीर अवस्था में है। उसका आई बाॅल तय जगह से तीन चौथाई निकल चुका है। रोशनी आने की संभावना कम है। फिर भी कुछ रोशनी लाने के लिए इलाज जारी है।
डॉक्टरों का कहना है कि उस आंख की राेशनी जा भी सकती है। उसका इलाज डीएमसीएच में चल रहा है। जानकारी के मुताबिक सिरुआ गांव के अरुण कुमार सिंह की बेटी सोना कुमारी उर्फ कोमल (18) मां दुर्गा की परम भक्त है। वह प्रति दिन सुबह शाम मां दुर्गा की पूजा अर्चना करती है।
शनिवार की सुबह वह हर वर्ष की भांति चैती नवरात्र में गांव में स्थापित मां दुर्गा की प्रतिमा के समक्ष से निकाली गई कलश शोभा यात्रा में हिस्सा ली। यात्रा का समापन पंडाल में आकर हुआ। उसके बाद कोमल ने मां के चरणों में अपनी बायीं आंख निकालने का प्रयास किया। जिसमें उसकी बायींं आंख गंभीर रूप से जख्मी हो गई। यह देख आसपास के लोगों ने आननफानन में उसे डीएमसीएच में भर्ती कराया। इमरजेंसी वार्ड में उसकी बायीं आंख को चिकित्सकों ने ऑपरेशन करके निर्धारित स्थान पर रख दिया। घायल युवती ने बताया कि उसे दो तीन दिन पूर्व भगवती ने एक आंख दान में देने का स्वप्न दिया। इसी को लेकर उसने भगवती को आंख देने का प्रयास किया। उसने अंगुली से आंख निकलने का प्रयास किया। जानकारी के अनुसार युवती ने पुजारी उमेश झा से कहा कि वह अपनी एक आंख भगवती को चढ़ाउंगी। इसके बाद वह मंदिर के अंदर गई और भगवती की मूर्ति के सामने आंख निकालने का प्रयास किया। इस दौरान उसकी बायीं आंख का तीन चौथाई हिस्सा निकल चुका था। उस समय घायल युवती के चेहरे पर कोई दर्द या पश्चाताप नहीं था। खून से लथपथ युवती पर नजर अन्य श्रद्धालुओं की नजर पड़ी। लोगों ने उस युवती को गंभीर अवस्था में डीएमसीएच ले जाने के लिए प्रयास किया तो वह इलाज नहीं कराने की बात कही। लोगों ने घायल युवती को किसी तरह डीएमसीएच में भर्ती कराया। युवती ने सीटी स्कैन के दौरान गले में पहनी भगवतीजी का लॉकेट उतारने को तैयार नहीं थी। उसके हाथ में भगवती की एक छोटी मूर्ति भी थी। वह भगवती की पूजा पाठ 12 साल से करती आ रही है। वह मैट्रिक फेल कर गई थी। उसके बाद उसने आगे की पढाई नहीं की। घर में ही पूजा पाठ करने लगी।
बताते चलें कि शुक्रवार को करीब तीन किलोमीटर की यात्रा कर सिरुआ गांव के बेल के पेड़ के नीचे पहुंची।वहां विधि-विधान पूजा किया और फिर पेड़ पर चढ़ बेल को कपड़े से बांधा। महिलाएं भगवती अराधना के गीत गाती रही। पट खुलने से पहले बेल-न्योती अहम अनुष्ठान माना जाता है। पूरी यात्रा में बच्चों से लेकर महिला, पुरूष और बुजुर्गों के बीच एक दूसरे से आगे निकलने की धड़-फरी रही। फिर धूल से सने गांव की सड़कों से होते हुए सभी गंतव्य पहुंचे। इसके बाद भक्त दुर्गा स्थान लौटे। चैती दुर्गा पूजा समिति के अध्यक्ष राणा नील कमल सिंह ने कहा कि इस अनुष्ठान के पूरा होने के बाद भगवत कथा का वाचन हुआ।
कथा वाचन में आस-पास के कई गावों के लोग आए।इसके अलावा महाआरती भी हुई। भगवती पूजन का मकसद शांति और लोक-कल्याण है। इस परम उद्देश्य के पूरा होने में मां दुर्गा की कृपा बनी रहे। आगे उन्होंने कहा कि शनिवार को माता के दर्शन के लिए पट खुलते ही यह घटना घटी। भक्ति के अलावा अन्य रंग भी हैं। यहां लगा मेला बच्चों और महिलाओं के आकर्षण का केन्द्र है। झूलों में मगन बच्चे, श्रृंगार के सामान खरीदती महिलाएं और शुद्ध देसी खुशबू बिखेरते खाद्य पदार्थों के स्टाल किसी को भी लुभा लेते। आपको बता दें कि बहेड़ी प्रखंड के सिरुआ में चैती दुर्गा पूजा पिछले 48 साल से मनाई जाती है।