लखनऊ,ब्यूरो: राज प्रताप सिंह।
योगी सरकार के गौवंश की हत्या पर रोक और अवैध कत्लखानों की बंदी के बाद खुले में घूमने वाले गौवंश की संख्या काफी बढ़ गई है।आवारा घूम रहे ये गौवंश किसानों और आम लोगों के लिए मुसीबत बन चुके हैं।
योगी सरकार प्रदेश की एक दर्जन जेलों में गौशाला खोलने जा रही है।इसके लिए आधा दर्जन जेल अधीक्षकों से स्थान का चिन्हीकरण कर गौसेवा आयोग को रिपोर्ट भेजी जा चुकी है।यूपी में पहले से ही 12 जिलों में गौशालाओं का संचालन कारागार विभाग कर रहा है। उत्तर प्रदेश गौसेवा आयोग के अध्यक्ष का मानना है कि गायों की सेवा करने से कैदियों की सोच में परिवर्तन होगा।साथ ही कैदियों को दूध और जैविक खेती से मिले अनाज और सब्जियां भी खाने को मिलेगी।
योगी सरकार के गौवंश की हत्या पर रोक और अवैध कत्लखानों की बंदी के बाद खुले में घुमने वाले गौवंश की संख्या काफी बढ़ गई है।आवारा घूम रहे ये गौवंश किसानों और आम लोगों के लिए मुसीबत बन चुके हैं।कहीं किसानों की फसलों को चौपट कर रहे हैं तो कहीं लोगों को घायल।ये आवारा गौवंश शासन-प्रशासन के लिए भी चुनौती बने हैं।ऐसे में सरकार हर वह कदम उठा रही है जिससे गौवंश के संरक्षण के साथ उनको उपयोगी भी बनाया जा सके।
नगर विकास विभाग और जेल की गौशाला में काफी अन्तर है।नगर विकास विभाग आवारा पशु को पकड़ कर उनका पालन पोषण करता है,जबकि जेलों की गौशाला में दुधारू गायों को रखा जाता है। जिनकी सेवा कैदियों के जिम्मे रहती है।यूपी के गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष राजीव गुप्ता का दावा है कि गायों की सेवा करने से कैदियों के विचारों में बदलाव आयेगा।यानि गौ सेवा से कैदी समाजिक बनेंगे साथ ही उनके दूध का भी उपयोग कर सकेंगे।