डेस्क :: मां दुर्गा के विविध स्वरूपों के पूजन का पर्व नवरात्र रविवार से शुरू होगा। सजे दरबार में कलश स्थापना के संग जहां मां के विविध स्वरूपों की विधि विधान से पूजा होगी वहीं श्रद्धालु व्रत रखकर मां के नौ स्वरूपों की आराधना करेंगे। नवमी की हानि की वजह से इस बार नवरात्र आठ दिनों की होगी। शनिवार को शनिश्चरीय अमावस्या के चलते शनि मंदिरों पर विशेष पूजा होगी। विकास की जननी कही जाने वाली देवी मां के प्रति श्रद्धा का भाव हमारी भारतीय परंपरा और संस्कृति को भी दिखाने में अपनी भूमिका निभाता है। ये नजारा नवरात्र पर आम होगा। मां को लाल चुनरी चढ़ाने के साथ ही जयकारों से गुंजायमान वातावरण हमारी मां दुर्गा के प्रति आस्था को और मजबूती प्रदान की जाएगी। घरों में पुरोहितों के सानिध्य में कलश स्थापना होगी।
नवमी तिथि की हानि होने से इस बार नवरात्र आठ दिनों की होगी। निर्णय सिंधु के अनुसार प्रतिपदा 17 मार्च को शाम 6:41 बजे से नवसंवत्सर लग जाएगा। 18 को सूर्योदय 6:13 बजे होगा। शाम 6:16 बजे तक कलश स्थापना की जा सकती है। लग्न के अनुसार सूर्योदय के बाद सुबह 9:13 बजे तक कलश स्थापना करना श्रेयस्कर होगा। किसी मान्यता या विशेष प्रयोजन को लेकर व्रत रखने वाले श्रद्धालु सुबह 9:11 से पूर्वाह्न 11:07 बजे तक कलश स्थापना कर सकते हैं। पहले और अंतिम दिन व्रत रखने वाले 24 को अष्टमी व्रत रख सकेंगे। 24 को सुबह 10:06 बजे से अष्टमी लगेगी और 25 को सुबह 8:03 बजे तक रहेगी। नवरात्र में पूरा व्रत रखने वाले 25 को सुबह 8:03 बजे के बाद व्रत का पारण कर सकते हैं।