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भयंकर गर्मी की मार झेल रहे लोग,बिद्युत बिभाग बेखबर,तहसील प्रशसान मूक बना दर्शक

डॉ.एस.बी.एस.चौहान

चकरनगर(इटावा) चकरनगर तहसील के अंतर्गत चल रही भयंकर लू और बढ़ा हुआ पारा जनमानस का जीवन हराम किए हुए हैं, जिसके चलते तहसील प्रशासन भी गांधारी पट्टी बांधे मूंक दर्शक बना हुआ है। कहां पानी की किल्लत है, कहां पर विद्युत की समस्या है, कहां पर खाद्यान्न से लोग दुखी हैं इस तरफ तहसील प्रशासन का कोई ध्यान नहीं है।
तहसील चकरनगर के अंतर्गत इस समय सूर्य की बढ़ी हुई गर्मी जनमानस के जीवन को तबाह किए हुए हैं। ऐसे समय में विद्युत और पानी दोनों की ही अच्छी खासी जरूरत है। तहसील प्रशासन इस ओर लगता है ध्यान ही नहीं दे रहा है विद्युत का यह हाल है की एक दिन आती है तो 4 दिन कहीं ना कहीं किसी न किसी उलझन के चलते गुल हो जाती है। लोगों का जीवन विद्युत पर ही निर्भर हो गया है समरसेबल विद्युत से चल रहे हैं कूलर, फ्रिज, पंखे यहां तक कि खाना बनाने वाली मशीनें विद्युत से ही चल रही है। और जब विद्युत नहीं आती है तो लोग इन सब चीजों से मोहताज होकर वर्तमान सरकार को बद्दुआएं देते हैं। तहसील प्रशासन भी गांधारी पट्टी बांधे या तो कुछ भी कर पाने की स्थिति में नहीं है या करना नहीं चाहता है। जिसके चलते लोग वर्तमान सरकार से खिन्न होकर कोई दूसरा विकल्प खोजने की तैयारी में है। किसानों का आंधी और बारिश से जो खाद्यान्न का नुकसान हुआ है उसके बारे में अभी तक कोई भी राहत की सांस नहीं मिली। विद्युत विभाग तो अपनी मेहनत में लगा हुआ है कि जहां पर खंबे टूट गए हैं विद्युत लाइन ध्वस्त हो गई है उसे आनन-फानन में फिट करते हैं लेकिन कहीं ऊपर से सप्लाई तो कहीं साइड की सप्लाई किसी कारण के चलते बंद हो जाती है तो लोगों का गुस्सा वर्तमान सरकार पर ही फूटता है। गांधारी पट्टी बांधे बैठे तहसील प्रशासन के अधिकारी और कर्मचारी जिन्हें यह होश नहीं है कि जो तालाब हैं बगैर पानी के सूखे पड़े हुए हैं पशु व सेंचुरी विभाग के पालतू जीव जंतु एक एक बूंद पानी के लिए तरसते हुए देखे जा सकते हैं। जिन तालाबों में पानी रहना चाहिए उन तालाबों में मोटे मोटे दर्रे/चटकनें पड़ चुकीं हैं इन दर्रों में यदि पशु का पैर चला जाए तो फिर बगैर टूटे नहीं रह सकता। यह तालाब मूल रूप से प्रतिवर्ष प्रधानों के माध्यम से तहसील के आदेश पर संबंधित नलकूपों के जरिए भर दिए जाया करते थे, लेकिन इस वर्ष तो तहसील प्रशासन की कान पर जूं तक नहीं रेंग रहा है। आपको और भी बता दें की तहसील रिकॉर्ड में लगभग 63 तालाब दर्ज है या यूं कहें कि तेरे सर तालाब राजस्व अभिलेखों में दर्ज हैं जिनमें दर्शाया गया है कि मूल रूप से पानी से भरे हुए हैं लेकिन हकीकत में देखा जाए तो शायद ही किसी तालाब में पानी मिलेगा बाकी के मूल रूप से तालाब खाली पड़े हुए हैं तहसील प्रशासन की यह झूठी रिपोर्ट शासन को और जिला के मुखिया श्रीमती सेल्वा कुमारी जे को भी गुमराह करने में अपनी महारत हासिल किए हुए हैं इन तालाबों में पानी ना होना इस बात का द्योतक है कि तहसील प्रशासन में बैठे जिम्मेदार अधिकारी सिर्फ पेप्सी और आपको और भी बता दे कि तहसील रिकॉर्ड में लगभग 30 ताला दर्द है या यूं कहें कि 63 तालाब राजस्व अभिलेख में दर्ज है जिनमें दर्शाया गया है कि मूल रुप से पानी से भरे हुए हैं लेकिन हकीकत में देखा जाए तो शायद ही किसी तालाब में पानी मिलेगा बाकी के मूल रुप से तालाब खाली पड़े हुए हैं तहसील प्रशासन की यह झूठी रिपोर्ट शासन को और जिला के मुखिया श्रीमती सेल्वा कुमारी जे को भी गुमराह करने में महारत हासिल किए हुए हैं इन तालाबों में पानी ना होना इस बात का धियोतक है कि तहसील प्रशासन में बैठे जिम्मेदार अधिकारी सिर्फ पैप्सी और ऐसी का आनंद ले रहे हैं। तहसील क्षेत्र के अंतर्गत दर्जनों ऐसे तालाब हैं जो राजस्व अभिलेखों में दर्ज जानबूझकर नहीं किए गए हैं क्योंकि यदि दर्ज होंगे और वह अतिक्रमण से युक्त है तहसील प्रशासन क्यों आपने ऊपर यह मुसीबत खड़ी करें कि इन तालाबों का अतिक्रमण हटाए इसलिए उन तालाबों को रिकॉर्ड में दर्ज नहीं किया गया। ग्राम गौहानी निवासी कुछ लोगों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि ग्राम सभा गौहानी में 2 तालाब जो जबसे गांव बसा हुआ है तब से बने हुए हैं जिनमें से एक तालाब अतिक्रमण के चलते चहर दीवारी में देकर अब वह तालाब आंगन की शोभा बढ़ा रहा है और तालाब का नामोनिशान पूर्णतया समाप्त हो चुका है और जो दूसरा तालाब बाकी बचा है उसमें अभी मौके पर जल मंजनीं पड़ी हुई है इसके लिए तहसील दिवस में जिलाधिकारी महोदया को अवगत कराया गया था तो उन्होंने तत्कालीन जिला उप जिलाधिकारी चकरनगर को आदेशित किया था कि इस तालाब को राजस्व अभिलेखों में दर्ज कर अतिक्रमण से मुक्त कराया जाए लेकिन उनके आदेश पर कोई भी कार्यवाही आज तक अमल में नहीं लाई गई और इस तालाब पर चारों तरफ से अतिक्रमण यहां तक कि नादें बनाना पशुओं के लिए खूंटे गाढ कर पशु बांधना बिल्कुल आम बात बन गई है। नाना प्रकार का कूड़ा करकट चारों तरफ से उड़ेलकर तालाब को नेस्तनाबूद किया जा रहा है लेकिन तहसील प्रशासन इस पर कुछ भी करने में नाकारा साबित हो रहा है। इस संबंध में जब उप जिला अधिकारी चकरनगर से संपर्क साधने के लिए दूरभाष पर प्रयास किया गया तो उनका नंबर नोट रिचेबल बताता रहा जिससे संपर्क न हो पाना और समस्या के संबंध में कोई भी बयान दर्ज नहीं किया जा सका।

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