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दिल्ली :: भारतीय मजदूर संघ ने मोदी सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा

नई दिल्ली(दिबाकर कुंडू):भारतीय मजदूर संघ ने मोदी सरकार के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया। संघ ने नीति आयोग की टीम पर दृष्टिहीन और श्रमिक-किसान विरोधी होने का आरोप लगाकर केंद्र से तत्काल नीति आयोग के पुनर्गठन की मांग की है। संघ ने राष्ट्रीय अधिवेशन में नीति आयोग के खिलाफ प्रस्ताव पारित कर तीखे हमले किए। प्रस्ताव में कहा कि नीति आयोग केन्द्रीय मंत्रालयों पर दबाव डालकर जनविरोधी नीतियां बना रहा है। वह शक्तिशाली कॉरपोरेट घरानों की कठपुतली बन गया है इसलिए देश को नुकसान पहुंचाने वाली नीतियां बना रहा है। नियोक्ताओं के अनुबंध के रूप में नीति आयोग पर काम करने का आरोप लगाया। भामसं का 18 वां तीन दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन दीनदयाल विद्यालय में चल रहा है। मंगलवार को दूसरे दिन पांच हजार प्रतिनिधियों ने तमाम मुद्दों पर प्रस्ताव रख कर चर्चा की। सबसे ज्यादा चर्चा का केन्द्र बिन्दु नीति आयोग रहा। पारित प्रस्तावों की जानकारी देते हुए संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के. लक्ष्मा रेड्डी और राष्ट्रीय मंत्री डीके पांडेय ने बताया कि 70 सालों में योजना और नीति आयोग से देश को कोई फायदा नहीं हुआ। संघ नीति आयोग के नकारात्मक रुख की निंदा करता है। आयोग में बैठे लोग जमीन से जुड़े नहीं हैं इसलिए वहां की मौजूदा टीम सरकार को गलत सलाह दे रही है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के प्रति श्रमिक, किसान विरोधी सरकार की छवि बन रही है। समान काम और समान वेतन का आयोग का सुझाव गलत है। किसान आत्महत्याएं कर रहे हैं पर आयोग सब्सिडी खत्म के साथ किसानों को ऋण बंद करने की सलाह दे रहा है। नीति आयोग को गरीबों और आम आदमी के कोई मतलब नहीं है। श्री रेड्डी ने कहा कि अधिवेशन ने एक सुर से आयोग में भारी बदलाव पर सहमति दी है क्योंकि एसी कल्चर के अधिकारी गरीबों का भला नहीं कर सकेंगे।रेड्डी ने बताया कि नीति आयोग ईपीएफओ और ईएसआई मेडिकल स्कीम को राज्य सरकारों के हवाले करना चाहता है। महिलाओं को रात की शिफ्ट में नौकरी की वकालत कर रहा है। संघ इन सबका विरोध करता है। सरकार नहीं मानी तो देशव्यापी आंदोलन शुरू कर दिया जाएगा। श्रम कानूनों में बदलाव अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के मानक पर ही मंजूर किए जाएंगे। आयोग सबसे ज्यादा दबाव श्रम मंत्रालय पर डाल रहा है। खुदरा व्यापार में सौ फीसदी विदेशी पूंजी निवेश को दावत दी जा रही है। यह देश के लिए घातक है। इसे मेक इन इंडिया नहीं कहा जा सकता है। इस पूंजी निवेश से देश में छोटा व्यापारी दम तोड़ देगा और बेरोजगारी बढ़ जाएगी। संघ ने नीति आयोग को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से सीख लेने की सलाह दी जिन्होंने वहां नारा दिया है कि अमेरिकी खरीदें, अमेरिकी को नौकरी दें। श्री रेड्डी ने कहा कि प्रस्तावों का ब्लूप्रिंट मोदी सरकार को भेजा जाएगा।

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