दरभंगा : हर गांव और घर में होली की तैयारियों में तेजी आ गई है। रविवार रात में जिले के शहर से लेकर हर गांव में सम्मत जलाई गई। दरभंगा में बेला मोड़, आयकर चौराहा, मिर्जापुर चौराहा, मशरफ बाजार, रेलवे स्टेशन, दोनार चौक, नागमंदिर,मदारपुर भगवती चौक जबकि लहेरियासराय में अल्लपट्टी चौक, बेंता चौक,कॉमर्शियल चौक,चट्टी चौक समेत जिले के सैकड़ों स्थानों पर सम्मत जली। इस दौरान पंचगोइठी मांगने किशोर और युवाओं की टोलियां घर-घर गईं। रात में भद्रा पुच्छ में सम्मत की पूजा हुई। ढुंढा नाम की राक्षसी को गालियों से नवाजते हुए भक्त प्रह्लाद की पूजा की गई। इस बीच युवाओं ने जमकर कबीरा गाया। लोग होली गीत गाते हुए सम्मत की परिक्रमा किए। इसके बाद जौ, तीसी भूनने के बाद सम्मत की आग घर ले गए।
मारवाड़ी समाज के लोगों ने बताया कि सम्मत की पूजा करने के बाद उसे आग के हवाले किया गया। फिर तीन फेरा चक्कर लगाने के बाद बड़ों को प्रणाम करते हुए प्रसाद के रूप मे गरी बांटी गई। उसके बाद महिलाओं ने सम्मत की परिक्रमा की। सम्मत की आग में कंडी की माला और अपने घरों से लाई हुई लकड़ियां डालते हैं। मदारपुर निवासी अवधेश कुमार ने बताया कि सम्मत की परिक्रमा करके हम राम के उपासक प्रह्लाद को नमन करते हैं। ढुंढा नाम की राक्षसी वरदान के बल पर प्रह्लाद को मारना चाहती थी परंतु स्वयं भस्म हो गई।
मदारपुर के ही रमेश कुमार ने कहा कि आपस में वैर भाव त्याग कर शरीर निराग हो इसके लिए उबटन लगाने के बाद उसकी लीझी जलाई जाती है। साथ ही नए अनाज जौ तीसी आदि भून कर उसे अग्निदेवता को समर्पित करते हैं, ताकि अन्न से हमारे घर का भंडार भरा रहे। एक बुजुर्ग ने कहा कि पहले सम्मत की आग साल भर जोगाई जाती थी। मिट्टी की बोरसी में आग को राख से दाब जिंदा रखते थे। दिनभर सम्मत की आग ठंडी होती है। होली के दिन सुबह राख सिर से लगाते हुए हम होली खेलते हैं। होली में सारे भेद भाव मिटाते हैं और लोग एक दूसरे से गले मिलकर एक दूसरे को बधाई देते हैं।