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छठ पूजा: नहाय-खाय के साथ छठ शुरू, राजधानी में 1000 घाट बनाएगी दिल्ली सरकार

छठ पूजा: नहाय-खाय के साथ छठ शुरू, राजधानी में 1000 घाट बनाएगी दिल्ली सरकार

छठ पूजा: नहाय-खाय के साथ छठ शुरू, राजधानी में 1000 घाट बनाएगी दिल्ली सरकार

पूर्वी उत्तर प्रदेश व बिहार में धूमधाम से मनाए जाने वाले छठ महापर्व आज से शुरू हो गया है। इस पर्व को लेकर दिल्ली में भी तैयारियां शुरू हो गई है। एक तरफ जहां छठ पूजा के लिए यमुना घाटों को तैयार किया जा रहा है। वहीं, बाजारों में रौनक बढ़ गई है। यह महापर्व आज से नहाय-खाय से शुरू होकर 14 नवंबर को सूर्योदय के अर्घ्य देने के साथ समाप्त होगा। छठ महापर्व रविवार को नहाए खाए के साथ शुरू हो रहा है। इस पर्व का मुख्य प्रसाद ठेकुआ जो आटे से बनता है वहीं खजूर आटे और मैदा दोनों से तैयार किया जाता है।

 

 

दिल्ली में हजारों लोग छठ पूजा करते हैं और नजदीक में घाट न होने के कारण उन्हें दूर दूर तक जाना पड़ता है. इसे देखते हुए दिल्ली सरकार ने इस साल 1000 छठ पूजा के घाट बनाने का निश्चय किया है. दिल्ली तीर्थ यात्रा विकास समिति के चेयरमैन कमल बंसल का कहना है कि पिछले साल सरकार ने छठ पूजा करने के लिए पूरे शहर में 609 जगहों की पहचान की थी. इस बार उसे बढ़ाकर एक हजार किया जा रहा है. इससे व्रत करने वालों और श्रद्धालुओं को एक या दो किलोमीटर से ज्य्दा दूर नहीं जाना पड़ेगा.

 

छठ पूजा के मद्देनजर दिल्ली सरकार में मंत्री गोपाल राय ने ITO के हाथी घाट का दौरा किया. इस मौके पर मंत्री गोपाल राय ने कहा कि ITO का घाट सबसे पुराना है जहां से दिल्ली में छठ पूजा की शुरुआत हुई थी. करीब चार साल पहले जब दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बनी, उस समय यहां केवल 60 ही छठ घाट थे। पूर्वांचल के लोगों को देखते हुए यह संख्या बहुत कम थी। पूर्वांचल के लोगों की मांग पर सरकार ने दिल्ली में 1000 घाट बनाने और छठ पर्व में सारी सुख-सुविधा मुहैया कराने का काम शुरू किया।

इन बाजारों में उमड़ रही भीड़

पूजन सामग्री के लिए दिल्ली के पालम इलाके, पूर्वी दिल्ली, द्वारका, बुराड़ी, गोपालपुर, जहांगीर पुरी समेत कई जगहों पर बाजार में रौनक बढ़ गई है। कोशी, पीतल का सूप, बांस का सूप, दउरा, केला, संतरा, अनार, सेब, पानी फल, गागल, पानी वाला नारियल, गन्ना, कच्ची हल्दी, मूली, अदरक, सूथनी आदि की दुकानें सजने लगी हैं।

पंडित राधेश पांडेय के अनुसार भगवान सूर्य को समर्पित इस पूजा को कठिन व्रतों में से माना जाता है। व्रती दो दिनों तक निर्जला रहते है। कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को यह व्रत रविवार से आरंभ हो रहा है। दूसरा दिन सोमवार को खरना होगा। पूरे दिन व्रत करने के बाद शाम को व्रती प्रसाद ग्रहण करेंगे। मुख्य प्रसाद ठेकुआ, टिकरी है। मंगलवार को खष्ठी को व्रती अस्तांचल सूर्य को तालाब, नदी के घाट के किनारे अर्घ्य देंगे। सप्तमी को प्रात: सूर्योदय के समय अर्घ्य देंगे व विधिवत पूजा कर प्रसाद वितरित करेंगे।

छठ महापर्व :: नहाय-खाय के साथ सूर्योपासना का चार दिवसीय पर्व शुरू, बुधवार को पारण के साथ होगा समापन

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