युवा गौरव।सुग्रीव कुमार त्रिवेदी
सिंगाही/लखीमपुर खीरी।लगातार बदलते मौसम ने किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीरें बढ़ा दी हैं। खेतों में लहलहाती अरहर, चना, मसूर व सरसों की खेती में कोहरे व पाले का प्रभाव पड़ने की संभावना है।
एक पखवाड़े से घना कोहरा व भीषण ठंड से दलहनी फसलों से नुकसान होने की संभावना बढ़ गई है। कोहरे के दौरान यदि पाला पड़ गया तो फसलें चौपट होगीं। जिससे किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें हैं। सरसों व मसूर की फसल को आंशिक नुकसान होने लगा है। इस ठंड से सिर्फ गेहूं की फसल को लाभ हो रहा है। दलहनी फसल को पाले से बचाने की जरूरत है।
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किसानों का कहना है कि कड़ाके की ठंड व कोहरे के कारण चना, मसूर व टमाटर में रोग लग सकता है। कोहरे से तिलहन के साथ-साथ दलहन फसल को भी नुकसान हो रहा है। अक्टूबर माह में बोई गई फसलों में फूल आ गए हैं। हवा व कोहरे से इसमें नुकसान हो सकता है।कोहरे से फसलों में बढ़ोत्तरी प्रभावित जरूर होती है लेकिन इसे बचाने के लिए दलहनी फसलों वाले खेतों के आसपास धुआं करें। इसके अलावा कृषि विभाग में फसलों को बचाने की तमाम दवाएं उपलब्ध हैं। किसान आवश्यकतानुसार दवाओं का प्रयोग करें।