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लखनऊ:बिहार के राज्यपाल बने लालजी टंडन, ऐसे तय किया राजभवन तक का सफर

2009 में जब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी राजनीति से दूर हुए और उनकी ऐतिहासिक लखनऊ लोकसभा सीट खाली हुई तो लालजी टंडन को ही बीजेपी ने उनका उत्तराधिकार सौंपा।

राज प्रताप सिंह,ब्यूरो लखनऊ

देश के राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालजी टंडन को बिहार का राज्यपाल मनोनीत किया है।राजनीति में सभासद से संसद तक का सफर तय करने वाले लालजी टंडन के जीवन पर दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का काफी असर रहा।वह खुद कहते हैं कि अटल बिहारी वाजपेयी उनके साथी, भाई और पिता रहे।अटल के साथ उनका करीब 5 दशको का साथ रहा।इतना लंबा साथ अटल का शायद ही कभी किसी के साथ रहा हो।

राज्यपाल मनोनीत होने के बाद लालजी टंडन ने कहा​ कि प्रधानमंत्री ने उन पर विश्वास जताया है।उन्होंने कहा​ कि वह बिहार के विकास में योगदान देने की कोशिश करेंगे।राज्य के अभिभावक की भूमिका में वह रहेंगे।लालजी टंडन ने कहा कि ​नीतीश कुमार उनके पुराने मित्र रहे हैं, उन्हें नहीं लगता कि हम दोनों के बीच कोई परेशानी आएगी।

लालजी टंडन का जन्म लखनऊ में 12 अप्रैल 1935 को हुआ।1958 में कृष्णा टंडन से विवाह हुआ।पढ़ाई उन्होंने स्नातक तक की है।उनके पुत्र गोपाल जी टंडन इस समय उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में मंत्री हैं।अपने शुरुआती जीवन में लालजी टंडन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ गए।इसी दौरान वह पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के संपर्क में आए।इसके बाद उनका करीब 5 दशकों तक अटल बिहारी वाजपेयी से संबंध कायम रहा।पिछले दिनों अटल बिहारी वाजपेयी के देहांत पर लालजी टंडन काफी परेशान रहे।लखनऊ की सड़कों पर अटल और लालजी टंडन के साथ के तमाम किस्से लोगों की जुबां पर रहते हैं।

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वैसे सभासद से संसद और अब राजभवन का सफर तय करने वाले लालजी टंडन ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में कई अहम प्रयोग भी किए।90 के दशक में प्रदेश में बीजेपी और बसपा गठबंधन की सरकार बनाने में भी उनका अहम योगदान माना गया।बसपा सुप्रीमो मायावती को बहन माना और खुद मायावती ने उन्हें राखी भी बांधी।

1978 से 1984 तक और 1990 से 96 तक लालजी टंडन दो बार उत्तर प्रदेश विधानपरिषद सदस्य रहे।इस दौरान 1991-92 की यूपी सरकार में वह मंत्री रहे।इसके बाद वह 1996 से 2009 तक लगातार तीन बार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे।1997 में में वह नगर विकास मंत्री रहे।यूपी विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे।

2009 में जब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी राजनीति से दूर हुए और उनकी ऐतिहासिक लखनऊ लोकसभा सीट खाली हुई तो लालजी टंडन को ही बीजेपी ने उनका उत्तराधिकार सौंपा।लालजी टंडन ने ये चुनाव आसानी से जीता और लोकसभा सदस्य चुने गए।

किताब लिखी तो हुआ विवाद

पिछले दिनों पूर्व बीजेपी सांसद लालजी टंडन ने अपनी किताब ‘अनकहा लखनऊ’ में कई खुलासे किए।इसमें उन्होंने लिखा कि पुराना लखनऊ के लक्ष्मण टीले के पास बसे होने की बात कही।उनके अनुसार, लक्ष्मण टीला का नाम पूरी तरह से मिटा दिया गया है, अब यह स्थान टीले वाली मस्जिद के नाम से जाना जा रहा है। टंडन के अनुसार, लखनऊ की संस्कृति के साथ भी जबरदस्ती हुई।

अपनी किताब में लालजी टंडन ने पार्षद से लेकर कैबिनेट मंत्री और दो बार सांसद तक का 8 दशक से अधिक का सामाजिक एवं सियासी सफर दर्ज किया है।लालजी टंडन के अनुसार, लखनऊ के पौराणिक इतिहास को नकार ‘नवाबी कल्चर’ में कैद करने की कुचेष्टा के कारण यह हुआ।लक्ष्मण टीले पर शेष गुफा थी, जहां बड़ा मेला लगता था। खिलजी के वक्त यह गुफा ध्वस्त की गई। बार-बार इसे ध्वस्त किया जाता रहा और यह जगह टीले में तब्दील हो गई।औरंगजेब ने बाद में यहां एक मस्जिद बनवा दी।

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