मधुबनी : कोविड-19 के दौर में भी सरकार एवं स्वास्थ्य विभाग शिशु से लेकर वयस्क वर्ग तक के हर लोगों के स्वास्थ्य का विशेष ख्याल रख रही है। इसी कड़ी में अति कुपोषित बच्चे की देखभाल के लिए सरकार के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग ने नया प्लान तैयार की है। जिसमें ऐसे शिशु का एक साल तक देखरेख करने का निर्णय लिया गया है एवं उसके स्वस्थ शरीर का निर्माण के हर आवश्यक पहल करने का योजना तैयार की। इसको लेकर राज्य स्वास्थ्य समिति के राज्य कार्यक्रम प्रबंधक ने पत्र जारी कर आवश्यक निर्देश दिए हैं। जिसमें कहा है कि अतिकुपोषित बच्चे की देखभाल के लिए शिशु स्वास्थ्य कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। जिसके तहत जन्म लेने अति कुपोषित बच्चे को एसएनसीयू से डिस्चार्ज के बाद एक वर्ष तक उसका देखभाल किया जाएगा और उसके स्वस्थ शरीर निर्माण के लिए हर आवश्यक पहल पहल की जाएगी।
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आशा करेंगी अति कुपोषित बच्चे का देखभाल
एसएनसीयू से डिस्चार्ज के बाद स्वास्थ्य विभाग जुड़ी आशा कार्यकर्ता ऐसे बच्चों का अगले एक वर्ष तक देखभाल करेंगी। इस दौरान वह बीच-बीच में गृहभेंट की तरह बच्चे का घर जाएंगे और बच्चे की स्थिति से अवगत होंगी। साथ परिजनों ने आवश्यक जानकारी लेंगे। जिसके बाद बच्चे के शरीर का वर्तमान स्थिति का स्थानीय या पीएचसी या अस्पताल को रिपोर्ट करेंगे। उसके बाद निर्देशानुसार आगे की प्रक्रिया करेंगी। जिस क्षेत्र में आशा चयनित नहीं है उस क्षेत्र की ऑगनबाड़ी सेविका उक्त कार्य करेंगी।
जरूरतमंद बच्चों का इलाज में भी करेंगी सहयोग
आशा या ऑगनबाड़ी सेविका ना सिर्फ बच्चे का हालचाल जानेंगे बल्कि जरूरतमंद बच्चों का आवश्यकता समुचित इलाज के बच्चे के परिजनों को सरकारी संस्थान जाने के लिए प्रेरित करेंगे और अस्पताल जाने तक हर आवश्यक मदद करेंगे। इसके लिए विभाग द्वारा प्रोत्साहन राशि भी दी जाएगी।
बढ़ती कुपोषण के शिकायत पर रोकथाम के लिए लिया गया निर्णय
सरकार एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा लगातार बढ़ रहे कुपोषण की शिकायत पर यह निर्णय लिया गया है। ताकि स्वस्थ बच्चे का निर्माण हो सकें और कुपोषण की शिकायत पर विराम लग सके। क्योंकि कहा जाता है कि स्थस्थ शरीर से स्वस्थ मानसिकता का निर्माण होता है और स्वस्थ मानसिकता से स्वस्थ समाज का निर्माण होता है।