दरभंगा : कोरोना काल ने भी लोगों के अंदर बड़ा बदलाव ला दिया है। वायरस को मात देने के लिए लोगों ने अपने जीवनशैली में बदलाव किया है। इस बदलाव का समाज में बड़ा असर भी देखने को मिल रहा है। लोगों में जागरूकता आई है और अस्पतालों में सामान्य बीमारियों का आंकड़ा भी कम हुआ है।
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ऐसे बदल रही है जीवन शैली :
कोरोना वायरस ने मानव जीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है। संक्रमण के मद्देनजर लाखों लोगों की जान जा चुकी है। खतरा अभी भी थमा नही है। यह लगातार मानव समाज को शारीरिक, मानसिक व आर्थिक रूप से प्रभावित कर रहा है। इससे उबरने के लिए हर स्तर से प्रयास जारी है। हर तरफ इसका नकारात्मक परिणाम सामने आने के बाद भी सकारात्म बदलाव देखने को मिल रहा है। इस विश्वव्यापी महामारी ने आम लोगों के जीवन में भारी बदलाव आया है। अमीर गरीब सभी वर्ग के लोगों में बदलाव आया है।
- संक्रमण के दौर में सकारात्मक बदलाव आया सामने
- साफ- सफाई, सही खान- पान और योग के साथ सीख लिया जीना
- सामान्य बीमारियों का घटा आंकड़ा, पर्यावरण में प्रदूषण का स्तर हुआ काम
वैसे तो साफ-सफाई, अच्छा खान-पान, शुद्ध पेयजल, जंक फूड से परहेज, व्यायाम, योग ध्यान के लाभ, रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि आदि को लेकर वैद्य व चिकित्सक हमेशा से नसीहत देते रहे हैं, लेकिन शायद पहली बार ऐसा हुआ है जब कोरोना के डर से लोगों ने इसपर बड़ा बदलाव अपनी जीवन शैली में लाया है।
आई है जागरूकता, खुद से हो गए अलर्ट :
कोरोना के संक्रमण के दौर में लोगों में बड़ा बदलाव हुआ है। साफ सफाई, हाइजीन, इम्युनिटी को लेकर काफी जागरूक हुए हैं। लोग ऐसी चीजों को अमल में भी लाने लगे हैं जिससे जीवन शैली में बदलाव आया है। कोरोना संक्रमण का सकारात्मक पहलू यह है कि लोग स्वच्छता, सही खान पान को अपना रहे हैं। वही यातायात के आवागमन कम होने से प्रदूषण का स्तर भी कम हुआ है.
सकारात्मक बदलाव :
कोरोना की वजह से हुई समस्या को अगर हम एक तरफ कर दें तो लोगों के दैनिक जीवन, स्वास्थ्य व आचार-विचार में बड़ा ही सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिला है। जागरूकता के कारण लोगों का स्वास्थ्य भी सुधरा है, अस्पतालों में सामान्य बीमारियों के मरीजों का आंकड़ा कम हुआ है। दिनचर्या में बदलाव का ही नतीजा है कि सर्दी-खांसी, बुखार, टाइफाइड, मलेरिया, पीलिया, कालाजार, चर्मरोग, पेट का रोग, डायरिया जैसे रोग के मामले काफी कम हुए हैं। कोरोना के कारण लंबे समय तक जारी लॉकडाउन से प्रकृति का स्वास्थ्य भी पहले से बेहतर हुआ है और प्रदूषण कम होने से पर्यावरण को भी लाभ मिला है. संक्रमण के समय मे बीमारी होने की स्थिति में घर मे ही आयुर्वेदिक पद्धति से उपचार करने का प्रयास करते है।
साफ-सफाई पर ध्यान :
कोरोना काल में लोगों को साफ-सफाई व स्वच्छता का महत्व समझ में आने लगा है। आम घरों के साथ ही कार्यालय व संस्थानों में सफाई पर अब विशेष ध्यान दिया जा रहा है। घरों के बाहर डीडीटी का छिड़काव, सेनेटाइजेशन की व्यवस्था, मास्क का प्रयोग, साबुन, हैंडवास व सैनिटाइजर से नियमित हाथों की सफाई का चलन बढ़ा है। लोग खुद के साथ ही अब दूसरों को भी इसके लिए जागरूक कर रहे हैं। अधिकांश घरों व प्रतिष्ठानों में तो अब बिना हाथ धोए व बिना मास्क पहने लोगों का प्रवेश भी वर्जित कर दिया गया है।
योगा व एक्सरसाइज का बढ़ा चलन
संक्रमण से बचाव के साथ आमलोगों में व्यायाम व योगा करने का चलन बढ़ा है। तकरीबन हर परिवार में जागरूक लोग सुबह-सुबह टहलने के अलावा योगा, प्रणायाम, आसन व व्यायाम करने लगे हैं। खास कर अनुलोम-विलोम व कपाल भांति जैसे सांस संबंधी प्राणायाम पर जोर दिया जा रहा है। कोरोना काल में आयुर्वेदिक व प्राकृतिक औषधियों की मांग बढ़ गयी है। खासकर शरीर की इम्युनिटी बढ़ाने वाली दवाओं की मांग बढ़ी है। दवा व औषधि विक्रेताओं ने बताया कि इन दिनों गिलोय, नीम, तुलसी, एलोवेरा, त्रिफला, मुलेठी, दाल-चीनी, सोंठ जैसी चीजों की डिमांड बढ़ गयी है। जिन्हें इम्युनिटी बूस्टर के रूप में प्रयोग किया जा रहा है।
कोरोना से डरने की नहीं लड़ने की जरूरत है:
आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. विनय कुमार कहते हैं कि कोरोना से डरने की नहीं बल्कि इससे लड़ने की जरूरत है। लोगों को जागरूक होना चाहिए एवं अपनी जीवन शैली में भी बदलाव लाना चाहिए। मास्क व सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जाना चाहिए। ताजा व संतुलित भोजन तथा गर्म पानी का प्रयोग करें। सात से आठ घंटे की भरपूर नींद लें। मॉर्निंग वॉक, व्यायाम व योगा को दिनचर्या में शामिल करें। विटामिन व प्रोटीनयुक्त भोजन को प्राथमिकता दें। किसी भी तरह की शारीरिक समस्या हो तो खुद इलाज करने के बजाय नजदीकी चिकित्सक व स्वास्थ्य केंद्र की मदद लें।
सुबह में योगाभ्यास करना नहीं भूलता
लहेरियासराय निवासी मोहन चौधरी का कहना है कि कोरोना संक्रमण के दौरान खुद उनका परिवार सतर्क है। 55 वर्षीय श्री चौधरी ने बताया कि वह जरूरत पड़ने पर ही घर से बाहर निकलते हैं। पहले सुबह में टहलने के लिए बाहर जाते थे। लेकिन अब घर के छत पर ही टहलते हैं। साथ ही नित्य एक घंटा योगाभ्यास करना नहीं भूलते। बताया कि योगाभ्यास करने से पूरे दिन स्फूर्ति बनी रहती है। उनके अन्य परिवार के सदस्य भी योगाभ्यास करने के बाद ही अन्य काम करते हैं। कहा कि संक्रमण को देखते हुए छोटे बच्चे भी बाहर जाने की जिद नहीं करते हैं। संक्रमण से बचाव के लिए डॉक्टर के परामर्श के बाद काढ़ा व गर्म दूध का सेवन करते हैं।