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विश्व रेबीज दिवस आज, इस वर्ष ‘शेयर द मैसेज सेव ए लाइफ़’ डिजिटल मुहिम

डेस्क : रेबीज एक विषाणु जनित रोग है। रेबीज नामक रोग कुत्ते या जीभ से पानी पीने वाले जानवरों के काटने से होता है। रेबीज के टीके की खोज लुईस पाश्चर ने की थी विश्व रेबीज दिवस प्रतिवर्ष 28 सितंबर को मनाया गया जाता है।

global Alliance for rabies control

विश्व रेबीज दिवस की शुरुआत इंग्लैण्ड की एक संस्था ग्लोबल अलायंस फॉर रेबीज कंट्रोल (Global Alliance for Rabies Control) द्वारा वर्ष 2007 में की गई थी। तब से प्रतिवर्ष रेबीज के टीके के जन्मदाता लुईस पाश्चर के निधन दिवस 28 सितंबर के ही दिन इसे मनाया जाता है।

महान वैज्ञानिक

कोविड -19 को देखते हुए इस बार डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से लोगों में इसके प्रति जागरूकता फैलाने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं ताकि लोग इसके प्रति अधिक से अधिक जागरूक हो।

end rabies

मधुबनी, बिहार के सिविल सर्जन डा. सुनील कुमार झा ने बताया कि बुखार, सिरदर्द, घबराहट या बेचैनी, व्याकुलता, भ्रम की स्थिति, खाना-पीना निगलने में कठिनाई, बहुत अधिक लार निकलना, पानी से डर लगना, नींद नही आना एवं शरीर के किसी एक अंग में पैरालिसिस यानी लकवा मार जाना आदि रेबीज के लक्षण है।

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सिविल सर्जन डॉ. सुनील कुमार झा ने कहा कि अगर रेबीज से संक्रमित किसी बंदर या कुत्ते आदि ने काट लिया तो तुरंत इलाज करवाएं। काटे हुए स्थान को कम से कम 10 से 15 मिनट तक साबुन या डेटौल से साफ करें। जितना जल्दी हो सके वेक्सिन या एआरवी के टीके लगवाएं। पालतू कुत्तों को इंजेक्शन लगवाएं।

public health problem

सिविल सर्जन डॉ. सुनील कुमार झा ने कहा कि अगर रेबीज से संक्रमित किसी कुत्ते या बंदर आदि के काटने पर इलाज में लापरवाही न बरतें। घाव अधिक है तो उस पर टांके न लगवाएं। रेबीज के संक्रमण से बचने के लिए कुत्ते व बंदरों आदि के अधिक संपर्क में न जाए।


यदि किसी भी व्यक्ति को रेबीज संक्रमित किसी जानवर ने काट लिया और उसने 72 घंटे के भीतर अपना इलाज नहीं करवाया तो उसके बाद वेक्सिन या एआरवी के टीके लगावने का कोई फायदा नहीं है। इस लिए जितना जल्दी हो सके वेक्सिन व एआरवी के टीके अवश्य लगावाएं।

Vaccinate to Eliminate

लापरवाही पड़ेगी महंगी

कुत्ते, बिल्ली या किसी अन्य जानवर के काटने पर बिल्कुल भी लापरवाही न बरतें। अगर हल्का सा भी निशान है तो एंटी रेबीज इंजेक्शन जरूर लगाने चाहिए। रेबीज खतरनाक है मगर इसके बारे में लोगों की कम जानकारी और ज्यादा घातक साबित होती है। आमतौर पर लोग मानते हैं कि रेबीज केवल कुत्तों के काटने से होता है मगर ऐसा नहीं है। कुत्ते, बिल्ली, बंदर आदि कई जानवरों के काटने से वायरस व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। कई बार कटे अंग पर पालतू जानवर के चाटने या खून का जानवर के लार से सीधे संपर्क से भी ये रोग फैल सकता है।

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