डेस्क : कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया के दिन चित्रगुप्त जी की पूजा-अर्चना की जाती है. इस दिन किताब, कलम, दावात और बही खातों की पूजा का विशेष महत्व है. आज से ही नये बही खातों की शुरूआत भी होती है. पुराणों के अनुसार चित्रगुप्त पूजा करने से विष्णुलोक की प्राप्ति होती है.
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इस बार चित्रगुप्त पूजा का विशेष मुहूर्त मंगलवार की दोपहर 1.11 बजे से दोपहर 3.25 बजे तक है. चित्रगुप्त को कायस्थों व कलम का आराध्य देवता माना जाता है. वे नर्क में सभी लोगों के पुण्य और पाप का ब्यौरा रखते हैं. इस दिन लेखनी, कलम, दावात और बहीखातों की पूजा पुरुषों द्वारा की जाती है, जबकि महिलाएं गोधन कूटतीं है.
चित्रगुप्त पूजा, बल, विद्या, साहस और शौर्य के लिए मुख्य मानी जाती है. चित्रगुप्त पूजा के दिन कायस्थ एक चौकी पर गंगाजल का छिड़काव कर उस पर साफ कपड़ा बिछा कर चित्रगुप्त जी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करते हैं. फिर भगवान श्री गणेश का पूजन करने के बाद चित्रगुप्त जी को पंचामृत से स्नान कराते हैं. स्नान कराने के बाद उन्हें हल्दी, चंदन, रोली अक्षत, पुष्प, फल, मिठाई आदि अर्पित करते हैं. इसके बाद उनके सामने कलम, दावात, बही खाते, किताब आदि रखे जाते हैं.
फिर एक सफेद कागज पर स्वास्तिक का चिह्न बना कर उसके नीचे श्री गणेश जी सहाय नमः, श्री चित्रगुप्त जी सहाय नमः, श्री सर्वदेवता सहाय नमः सहित अन्य देवाताओं का नाम लिखा जाता है. इस कागज पर श्रद्धालु पूरे साल के आय-व्यय का ब्योरा भी लिखते हैं.