डेस्क : दरभंगा डीएम डॉ त्यागराजन एस एम ने उड़ीसा के भुवनेश्वर में डिजास्टर रिस्क रिडक्शन (DRR) की कार्यशाला में हिस्सा लेकर बिहार का प्रतिनिधित्व किया। भुवनेश्वर के होटल मेफेयर में बीते सोमवार व मंगलवार को इस दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन हुआ।
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DRR पर क्षेत्रीय कार्यशाला के पहले दिन के तीसरे तकनीकी सत्र में हेल्थ इमरजेंसी की तैयारियों पर दरभंगा जिलाधिकारी डॉ त्यागराजन ने बिहार के तरफ से प्रस्तुती दी।
इस तीसरे तकनीकी सत्र की अध्यक्षता ओडिशा के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग सरकार के प्रधान सचिव निकुंज बिहारी ढल ने की। डॉ सौरभ दलाल, एनडीएमए द्वारा देश में स्वास्थ्य आपातकाल तैयारियों जैसे विषय पर तीन प्रस्तुतियां दी गईं। साथ ही ओडिशा राज्य चिकित्सा निगम की एमडी सुश्री यामिनी सदांगी द्वारा भी स्वास्थ्य आपातकाल तैयारी पर प्रस्तुति दी गई।
वर्ष 2019 में ओडिशा में सर्वाधिक वज्रपात की घटना हुई है। जानकारी के मुताबिक वर्ष 2019 में 12 लाख बार वज्रपात होने की जानकारी विशेष राहत आयुक्त प्रदीप कुमार जेना ने दी है। भुवनेश्वर में नेशनल डिजास्टर मिटिगेशन अथारिटी की तरफ से आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला में भाग ले उन्होंने उपरोक्त जानकारी दी है। इस कार्यशाला में बज्रपात जैसी बढ़ती आपदा को लेकर विस्तार से चर्चा की गई।
शहरांचल में कृत्रिम बाढ़, समुद्र के जलस्तर में बढ़ोत्तरी के कारण हो रही धन जीवन की बर्बादी को किस प्रकार से रोका जाए, उस पर चर्चा की गई। इसके साथ ही राज्यों में आपदा नियंत्रण के लिए पहले से योजना न बनाए जाने के कारण एनडीएमए सदस्य सचिव ने नाराजगी जाहिर की है। राज्यों से त्वरित तरीके से तैयार रहने के लिए एनडीएम ने सलाह दिया है। विशेष राहत आयुक्त ने कहा है कि वर्तमान निर्माण को मजबूत करने पर आगामी दिनों में हम आपदा से होने वाले नुकसान को कम कर सकते हैं।
इस कार्यशाला में ओडिशा के साथ पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़ तथा आन्ध्र प्रदेश के अधिकारी भाग लिए थे। इसमें ओसडमी के पूर्व एमडी अरविन्द बेहेरा मुख्य अतिथि के तौर पर भाग लिए थे। सभी अतिथियों ने वज्रपात की बढ़ती घटना पर चिंता प्रकट करने की।
मिली जानकारी के मुताबिक उद्घाटन सत्र मुख्य वक्ता, NDMA के IAS सदस्य सचिव, श्री जीवीवी सरमा द्वारा दिया गया। कार्यशाला में श्री प्रदीप जेना, आईएएस, अतिरिक्त मुख्य सचिव, ओडिशा और एमडी, ओएसडीएमए और श्री संदीप पौंड्रिक, आईएएस, संयुक्त सचिव (शमन), एनडीएमए की उपस्थिति की थी। डॉ अरबिंदो बेहेरा, आईएएस (सेवानिवृत्त) ने इस अवसर पर अतिथि के रूप में सम्मानित हुए। इस कार्यशाला से संबंधित राज्यों को आपदा जोखिम न्यूनीकरण उपायों की बेहतर तरीके से योजना बनाने में मदद करने की उम्मीद है जो समग्र जोखिम में कमी में योगदान करेंगे जिससे देश में प्राकृतिक आपदाओं के कारण होने वाले नुकसान होंगे।
DRR पर क्षेत्रीय कार्यशाला का पहला तकनीकी सत्र यानी, चक्रवात और सुनामी जोखिम में कमी की अध्यक्षता NDMA के IAS सदस्य सचिव, श्री जीवीवी सरमा ने की थी। श्री सुनीत देवी, वैज्ञानिक ई, आईएमडी और डॉ। ईपी रामा राव, वैज्ञानिक द्वारा देश में साइक्लोन अर्ली वार्निंग सिस्टम के बाद एनडीएमए, श्री एस कुमार, नेशनल साइक्लोन रिस्क मिटिगेशन प्रोजेक्ट जैसे विषय पर चार प्रस्तुतियाँ दी गईं। F INCOIS, हैदराबाद ने देश में सुनामी अर्ली वार्निंग सिस्टम पर एक प्रस्तुति दी। श्री पी.के. जेना, अतिरिक्त मुख्य सचिव और एमडी ओएसडीएमए ने ओडिशा द्वारा उठाए गए चक्रवात जोखिम न्यूनीकरण उपायों पर एक प्रस्तुति दी।
डीआरआर पर क्षेत्रीय कार्यशाला के दूसरे तकनीकी सत्र के लिए विषय, भूकंप जोखिम और शमन उपाय, श्री पी.के. जेना, एसीएस और एमडी ओएसडीएमए की अध्यक्षता में किया गया था। छत्तीसगढ़ में राजस्व, छत्तीसगढ़ के राजस्व सचिव डॉ। जी। सुरेश, वैज्ञानिक एफ और सुश्री रीता सांडिल्य द्वारा भूकंप निगरानी गतिविधियों के बाद देश में भूकंप जोखिम और इसके शमन उपाय जैसे विषय पर तीन प्रस्तुतियाँ की गईं। अपने राज्य में भूकंप जोखिम शमन उपायों पर एक प्रस्तुति दी।
3 वें तकनीकी सत्र की अध्यक्षता स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग, सरकार के प्रधान सचिव, निकुंज बिहारी ढल ने की। डॉ सौरभ दलाल, एनडीएमए द्वारा देश में स्वास्थ्य आपातकाल तैयारियों जैसे विषय पर तीन प्रस्तुतियां दी गईं, उसके बाद बिहार के प्रतिनिधित्व के तौर पर दरभंगा डीएम डॉ त्यागराजन एस एम और ओडिशा राज्य चिकित्सा निगम की एमडी सुश्री यामिनी सदांगी द्वारा स्वास्थ्य आपातकाल तैयारी पर प्रस्तुति दी गई।
स्वर्णिम टाईम्स के लिए सौरभ शेखर श्रीवास्तव की विशेष रिपोर्ट
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