डेस्क : कोरोना काल मे गर्भवती महिलाओं को ज़रूरी एहतियात बरतनी चाहिए। इस समय संक्रमण से बचाव के लिए हर ज़रूरी कदम उठाना चाहिए खासकर स्वच्छता और सोशल डिस्टेंसिंग के मामले में विशेष रूप से सावधान रहें।
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निजी क्लिनिक चला रहे डॉ विनय कुमार लोगों को इसे लेकर जागरूक कर रहे हैं। बाहर निकलते या अस्पताल जाने पर विशेष सावधानी बरतनी चाहिए ताकि खुद को और गर्भ में पल रहे शिशु को संक्रमण से बचाया जा सके। इसके अलावा गर्भावस्था में यदि बहुत अधिक थकावट महसूस होती है तो थायराइड टेस्ट जरूर करवा लें। कोई भी लापरवाही स्वास्थ्य और गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए हानिकारक साबित हो सकती है।
- कोरोना संक्रमण के मद्देनजर एहतियात बरतना आवश्यक,
- शारीरिक अस्वस्थता होने पर निकट के अस्पताल में लें चिकित्सक से सलाह
- गर्भावस्था में टिटनेस टॉक्साइड (टीटी) के दो टीके लगवाएं
क्या है थाइराइड:
जागरूकता की मुहिम चला रहे डॉ विनय कुमार ने बताया कि थायराइड मेटाबॉलिज्म से जुड़ी बीमारी है, जिसमें थायराइड हार्मोन का स्राव असंतुलित हो जाता है और शरीर के अंदर की कई क्रियाओं में भी गड़बड़ी हो जाती है। ऐसे में प्रेग्नेंसी के दौरान अगर यह समस्या होती है तो यह मां और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक होता है। इस बीमारी में वजन अचानक से बढ़ने लगता है और व्यक्ति रोज के कामकाजों में रुचि नहीं लेता है। इसके अलावा यदि आपको बहुत अधिक थकावट महसूस होती है तो थायराइड टेस्ट जरूर करवा लें। कोई भी लापरवाही स्वास्थ्य और गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए हानिकारक साबित हो सकती है। गर्भ के दौरान थायराइड की समस्या हो रही है तो तुरंत निकट के अस्पताल में डॉक्टर से परामर्श ज़रूरी है। चिकित्सक के अनुसार दवा व परहेज़ करें।
प्रेग्नेंसी के दौरान थायराइड के लक्षण:
– थकावट महसूस होना
– मिचली आना
– उल्टी
– हार्ट बीट तेज हो जाना
– भूख नहीं लगना
– अधिक ठंड लगना
थायराइड बढ़ने पर क्या खाएं:
डॉ कुमार ने बताया थायराइड बढ़ने पर हल्दी वाला दूध काफी फायदेमंद है। यदि आप हल्दी वाला दूध नहीं पीना चाहती हैं तो हल्दी को भूनकर खाएं।
– दो चम्मच तुलसी के रस में आधा चम्मच एलोवेरा जूस मिलाकर लें। इससे भी थायराइड की समस्या कंट्रोल हो सकती है।
– नियमित रूप से योग और एक्सरसाइज जरूर करें।
-रोजाना सुबह खली पेट लौकी का जूस पीने से भी थाइराइड से राहत मिलती है।
– बादाम और अखरोट में सेलीनीयम तत्व मौजूद होता है जो थायराइड में फायदा करता है। इस के सेवन से गले में सूजन से भी आराम मिलता है।
संक्रामक रोग से बचाव के लिए टीकाकरण आवश्यक:
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के शरीर में विभिन्न तरह के बदलाव आते हैं। इस दौरान उनका शरीर संक्रामक रोगों के प्रति संवेदनशील हो जाता है। ऐसे में गर्भावस्था के दौरान मां और शिशु की रक्षा के लिए सिर्फ पौष्टिक भोजन और व्यायाम ही काफी नहीं है। कुछ अन्य बातों पर भी गौर करने की जरूरत है और टीकाकरण उन्हीं में से एक है। गर्भ में पल रहे शिशु की देखभाल और सुरक्षा के लिए गर्भवती मां को टीके जरूर लगवाने चाहिए। टीकाकरण से मां और शिशु दोनों कई प्रकार के संक्रामक रोगों से बचे रहते हैं। टीके लगने से गर्भवती महिला का शरीर एंटीबॉडी की तरह काम करता है, जो शिशु को संक्रमण से बचाने में मदद करता है। यही कारण है कि गर्भावस्था के दौरान टीकाकरण जरूरी है। डॉ कुमार ने कहा कि गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान जल्दी से जल्दी टिटनेस टॉक्साइड (टीटी) के दो टीके लगाये जाने चाहिए। इन टीकों को टीटी-1 एवं टीटी-2 कहा जाता है। इन दोनो टीकों के बीच 4 सप्ताह का अंतर रखना आवश्यक है।