डेस्क : ट्राई ने मौजूदा फोन नंबर के 10 डिजिट की जगह 11 डिजिट करने के बारे में अपने देश के लोगों के सुझाव आमंत्रित किए हैं. ऐसा कदम बढ़ती आबादी के साथ टेलिकॉम कनेक्शन की मांग से निपटने और जरूरतों को देखते हुए उठाया जा रहा है.
ट्राई ने इसबारे में लोगों के सुझाव आमंत्रित किए हैं. ट्राई ने इस बारे में एक डिस्कशन पत्र जारी किया है जिसका टाइटल है ‘एकीकृत अंक योजना का विकास.’ ये योजना मोबाइल और स्थिर (लैंडलाइन) दोनों प्रकार की लाइनों के लिए है.टेलिकॉम कनेक्शंस की तेजी से बढ़ रही डिमांड के कारण ये बदलाव जरुरी हो गया है.
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दरअसल ट्राई ऐसे कई ऑप्शन पर काम करना चाहती है जिसमें से एक मोबाइल नंबरिंग सिस्टम को बदलना भी शामिल है.मौजूदा 9, 8 और 7 से शुरू होने वाले मोबाइल नंबर्स के साथ करीब 210 करोड़ नए टेलिकॉम कनेक्शन दिए जा सकते हैं.साल 2050 तक देश में मौजूदा नंबर्स के अलावा करीब 260 करोड़ नए नंबरों की जरूरत पड़ने वाली है. बता दें कि सरकार मशीनों के बीच पारस्परिक इंटरनेट संपर्क/ इंटरनेट आफ दी थिंग्स के लिए 13 अंकों वाली नंबर श्रृंखला पहले ही शुरू कर चुकी है.
इससे पहले भारत ने अपने नंबरिंग सिस्टम को दो बार बदला है, जो कि 1993 और 2003 में हुआ था. उस समय 2003 में नंबरिंग प्लान से 75 करोड़ नए फोन कनेक्शंस क्रिएट किए गए थे. इसमें से 45 करोड़ सेल्युलर और 30 करोड़ बेसिक या लैंडलाइन फोन नंबर शामिल थे.
ट्राई का मानना है कि मोबाइल कनेक्शंस की बढ़ती संख्या की वजह से 10 डिजिट वाले मोबाइल नंबरों की मौजूदा व्यवस्था को बदलने का वक्त आ गया है.सिर्फ मोबाइल फोन ही नहीं, बल्कि फिक्स्ड लाइन नंबर भी 10 डिजिट नंबरिंग में बदले जा सकते हैं.