रामकिशोर रावत
माल(लखनऊ) प्रदेश सरकार का एक चिकित्सालय पता नहीं जमीन के नीचे चल रहा है या आसमान में कोई नहीं बता सकता । क्षेत्र में अति पिछड़े इलाके को सरकारी स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए दूरदराज गांव में आयुर्वेदिक व होम्योपैथिक चिकित्सालय की स्थापना की गई थी उल्टे सीधे तरीके से चल रहा इन दोनों पद्धतियों के चिकित्सालय का कोई देखने वाला नहीं है मजेदार बात तो यह है कि करीब 10 वर्षों से होम्योपैथिक निदेशालय के रिकॉर्ड में दर्ज एक चिकित्सालय जमीन पर चल ही नहीं रहा है।
प्रदेश सरकार की राजकीय होम्योपैथिक सूची में 1247 नंबर पर अंकित ससपन होम्योपैथिक चिकित्सालय को चलते हुए किसी ने नहीं देखा होम्योपैथिक विभाग के जिला होम्योपैथिक अधिकारी ने वर्ष 2009 में अपने पत्रांक संख्या 868 के जरिए ग्राम प्रधान संस्थान से चिकित्सालय भवन हेतु अनुरोध किया था जिसे प्रधान ने खुशी के साथ स्वीकार किया था पंचायत के सहमत पर मोहर लगाते हुए होम्योपैथिक विभाग ने पंचायत भवन के ठीक सामने अस्पताल के लिए एक इमारत बनवा दी थी लेकिन इस भवन की क्या उपयोगिता है
यह आज तक तय नहीं हो सका ससपन पंचायत के मजरे भाईदास खेड़ा निवासी अवधेश सिंह बताते हैं कि यह इमारत बने लगभग 8 साल से अधिक समय बीत गया है लेकिन होम्योपैथिक का कोई नुमाइंदा चिकित्सालय व्यवस्था को दूर भवन को देखने तक नहीं आया वैसे तो होम्योपैथिक पद्धति के तीन और चिकित्सा क्षेत्र के बताए गए हैं
जिनमें सूची के क्रम संख्या 1234 बदैया1242 गाड़ी 1246 गहदौ का संचालित होना बताया जा रहा है यह अस्पताल किराए के भवनों में संचालित अस्पताल भगवान भरोसे है इन अस्पतालों उच्चीकृत करने और बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने के नाम पर महान लीपापोती होती है जिसके चलते होने का आयुर्वेदिक चिकित्सालय पहुंचाया अस्पताल महज एक दिखावा बनकर रह गए हैं जबकि दूरदराज के गांव में स्थापित या चिकित्सालय सामान्य स्वास्थ्य सेवाओं में बड़ी भूमिका निभा सकता है।