डेस्क : 7 वर्ष पहले साल 2014 में बिहार की राजधानी पटना और बोधगया में हुए सीरियल ब्लास्ट मामले में इंडियन मुजाहिद्दीन के आतंकियों के खिलाफ जोधपुर की एडिशनल चीफ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ने गिरफ्तारी वारंट जारी किया है.
पटना और बोधगया सीरियल ब्लास्ट मामले में इंडियन मुजाहिद्दीन माड्यूल के सहयोगी आतंकियों को जोधपुर से पकड़ा गया था, जिनकी सुनवाई अतिरिक्त मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट की कोर्ट में चल रही है.
पटना और बोधगया सीरियल ब्लास्ट मामले में इंडियन मुजाहिद्दीन के तीन आतंकी इकबाल भटकल उर्फ मोहम्मद इस्माइल, रियाज भटकल और मोहम्मद रियाज उर्फ स्माइल भंडारी के खिलाफ कोर्ट ने गिरफ्तारी वारंट जारी करने का आदेश दिया है.
गौरतलब हो कि एटीएस ने कोर्ट में प्रार्थना पत्र पेश कर आतंकियों के खिलाफ फिर से गिरफ्तारी वारंट जारी करने का आग्रह से किया था. जिसमें बड़ा अपडेट सामने आया है.जिनके खिलाफ वारंट जारी किया गया है, उसमें रियाज भटकल सबसे बड़ा नाम है.
आपको याद दिला दें कि 13 मई को साल 2012 में सऊदी अरब में दरभंगा केवटी के बाढ़ समैला गांव के फसीह महमूद को भारतीय सुरक्षा एजेंसी ने स्थानीय पुलिस के सहयोग से पकड़ा था.
गौरतलब हो कि इंडियन मुजाहिद्दीन का चीफ रियाज भटकल और इकबाल भटकल से जुड़ा फसीह 2008 में बटला हाउस मुठभेड़ के बाद सऊदी अरब भाग गया था. जहां से आइएम को पैसे मुहैया कराता रहा.
दाऊद इब्राहिम का सहयोगी फजलुर्रहमान भी जाले थाने के देवड़ा बंधौली गांव का है. अभी वह तिहाड़ जेल में बंद है.एनआईए ने इन बम धमाकों में अपनी जांच के दौरान पांच लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया था. लेकिन एनआई में मुताबिक रियाज नाम का आतंकी अभी भी फरार है. रियाज की नेपाल या पाकिस्तान में होने की संभावना जताई जा रही है. हैदराबाद में हुए बम धमाकों में भी इसका नाम सामने आया था.
आपको याद दिला दें कि हैदराबाद ब्लास्ट और पटना में हुए बम धमाकों में 6 महीनों का अतंर था.गौरतलब हो कि तब भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी कई आतंकी संगठनों के निशाने पर थे. पाकिस्तान में बैठे आतंकी संगठनों ने हाथ मिला लिया था. इन आतंकी संगठनों को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का भी समर्थन हासिल था. यह जानकारी खुफिया विभाग ने गृह मंत्रालय को दी थी. इसके बाद गृह मंत्रालय ने दिल्ली सहित सभी राज्यों के पुलिस प्रमुखों को पत्र लिखकर इस बारे में आगाह कर दिया था. तब मोदी को निशाना बनाने के लिए आतंकी संगठन लश्कर-ए-ताइबा, हिजबुल मुजाहिदीन और शाहिद बिलाल एक हो गए थे और आईएसआई के इशारे पर इन संगठनों ने इंडियन मुजाहिदीन को ऑपरेशन का जिम्मा सौंपा था.