डेस्क : बिहार के लाल प्रमोद भगत ने टोक्यो पैरालंपिक में इतिहास रच दिया है. बैडमिंटन में देश के लिए गोल्ड मेडल जीतकर उन्होंने बिहार के साथ-साथ देश का मान बढ़ाया है. पदक जीतने के बाद उनके गांव में जश्न का माहौल है.
प्रमोद भगत बिहार के हाजीपुर के रहने वाले हैं, लेकिन 5 साल की उम्र में पैर में पोलियो के कारण उनकी बहन बेहतर इलाज के लिए ओडिशा लेकर चली गई थीं. जहां उन्होंने अपनी कमजोरी को ताकत बनाया और बैडमिंटन खेलना शुरू किया.
प्रमोद के पिता गांव में रहकर खेती करते हैं. प्रमोद भगत ने बैडमिंटन के पुरुष सिंगल्स एसएल 3 फाइनल में ग्रेट ब्रिटेन के वर्ल्ड नंबर-2 डेनियल बेथेल को 21-14, 21-17 से हराया. इसके साथ ही 33 साल के प्रमोद भगत पैरालंपिक के बैडमिंटन इवेंट में गोल्ड जीतने वाले पहले भारतीय शटलर बन गए हैं.
इसके साथ ही भारत के पदकों की संख्या 17 हो गई. वर्ल्ड नंबर-1 प्रमोद ने यह खिताबी मुकाबला 45 मिनट में अपने नाम किया. सेमीफाइनल में उन्होंने जापान के डाइसुके फुजिहारा को 21-11, 21-16 से हराया था.
बता दें कि आज का दिन अबतक काफी शानदार रहा है. एक ही दिन में भारत ने दो-दो गोल्ड मेडल अपने नाम कर लिया है. पहले शूटिंग में मनीष नरवाल ने देश को गोल्ड जीताया और अब भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी प्रमोद भगत ने स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया है. मौजूदा पैरालंपिक की बात करें तो भारत ने अब तक 17 पदक जीते हैं. भारत के खाते में अब 4 स्वर्ण, 7 रजत और 6 कांस्य पदक हैं.