डेस्क : पुलिस को चकमा देकर कैद से फरार कुख्यात विकास झा का अभी तक कोई सुराग नहीं मिल सका है। उसके फरार होने के बाद उत्तर बिहार में गैंगवार की आशंका को देखते हुए पांच जिलों में अलर्ट भी जारी किया गया है।
जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल के कैदी वार्ड में भर्ती विकास को फरार कराने में ठेकेदार, पुलिसकर्मी और एक दबंग नेता की संलिप्तता सामने आ रही है। इसका मास्टरमाइंड पुलिस की गिरफ्त से अब भी बाहर है। एसएसपी आशीष भारती द्वारा गठित स्पेशल टास्क फोर्स के सदस्य ओडिशा, झारखंड और नेपाल पर अपनी नजर रखे हुए हैं।
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जेल में ही रची गई थी साजिश
विकास को भागने की साजिश जेल में ही रची गई थी। उसे अस्पताल के कैदी वार्ड में कैसे पहुंचाया गया, इसकी जांच के बाद कई सफेदपोशों का चेहरा बेनकाब हो सकता है। अस्पताल का कैदी वार्ड बरारी थाना के अंतर्गत है। कैदी वार्ड में कई दिनों से भर्ती रहे विकास का जायजा बरारी थाने के पुलिस अधिकारियों ने ली या नहीं, यह भी जांच का विषय है। पुलिस इस बात से अच्छी तरह से वाकिफ थी कि वह पूर्व से ही भगोड़ा रहा है।
कुख्यात विकास कम उम्र से ही आपराधिक गतिविधियों में शामिल हो गया था। उसने सबसे पहले अपने पड़ोस के ही एक अंडा विक्रेता की हत्या की थी। उस समय नाबालिग होने के कारण उसे मुजफ्फरपुर रिमांड होम में रखा गया था। वह रिमांड होम से दो बार भागने में सफल रहा। सीतामढ़ी पुलिस को भी चकमा देकर दो बार फरार हो चुका है। भागलपुर से फरार होने की यह उसकी पांचवीं घटना है।
मुकेश पाठक गिरोह से अदावत
नाॅर्थ बिहार लिबरेशन आर्मी का गठन कुख्यात अपराधी संतोष झा ने किया था। बीते वर्ष 28 अगस्त को जब संतोष को न्यायालय में पेशी के लिए लाया गया तो मुकेश पाठक के सहयोगियों ने उसे न्यायालय परिसर में ही भून डाला। मुकेश नार्थ बिहार लिबरेशन आर्मी का स्वयंभू कमांडर बनना चाहता था। संतोष झा के करीबी रहे विकास को मुकेश की यह हरकत रास नहीं आई। इस घटना के बाद दोनों की दूरी बढ़ गई। दोनों एक-दूसरे के खून के प्यासे हो गए।
पांच जिलों में कायम किया है दबदबा
परिणामस्वरूप संतोष झा का गैंग कमजोर पड़ गया। लेवी वसूलने का काम मुकेश पाठक ने शुरू कर दिया। पाठक गिरोह का वर्चस्व बढऩे लगा।
अब विकास के पुलिस हिरासत से भागने के बाद नाॅर्थ बिहार में गैंगवार की आशंका बढ़ गई है। इस गिरोह के निशाने पर निर्माण कंपनियां रहती हैं। सीतामढ़ी के बेलसंड और दरभंगा में निर्माण कंपनियों से जुड़े अभियंताओं और कर्मचारियों की हत्या कर इस गिरोह ने नाॅर्थ बिहार के पांच जिलों में अपना दबदबा कायम कर लिया था।
ओडिशा, झारखंड और नेपाल में रहा है ठिकाना
सीतामढ़ी के इन कुख्यात अपराधियों का ठिकाना झारखंड, ओडिशा और पड़ोसी देश नेपाल रहा है। मोतिहारी पुलिस ने विकास को पहली बार झारखंड से पकड़ा था, लेकिन वह जल्द ही जेल से बाहर आ गया था। उसकी दूसरी बार गिरफ्तारी नेपाल से हुई थी। ओडिशा का ठिकाना बहुत कम लोगों को पता है। यहां संतोष झा, सरोज राय और चिरंजीवी भगत ने अकूत संपत्ति अर्जित की है। संतोष झा की हत्या के बाद उसके परिवार के सदस्य ओडिशा में ही रहते हैं।