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मिथिला विजय स्तंभ का दसवां स्थापना दिवस समारोहपूर्वक मनाया गया |

कंदर्पी घाट को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा : एसडीएम

झंझारपुर मधुबनी/डॉ.संजीव शमा : अनुमंडल क्षेत्र के कंदर्पी घाट में स्थापित मिथिला विजय स्तंभ के दसवें स्थापना दिवस का उदघाटन समारोह के मुख्य अतिथि डॉ रंगनाथ चौधरी दिवाकर एवं विशिष्ट अतिथि अनुमंडल पदाधिकारी शैलेश कुमार चौधरी ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया।कमला नदी के किनारे स्थापित मिथिला विजय स्तंभ पर पुष्पांजलि अर्पित कर समारोह में पधारे अतिथियों ने मातृभूमि की बलिवेदी पर शीशोत्सर्ग करने वाले अमर योद्धाओं को नमन करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित किया।

कार्यक्रम का शुभारंभ दिवाकर झा सुमन के जय जय भैरवी असुर भयाउनी के गायन से हुआ वहीं मंटू मिश्रा ने मिथिला वर्णन ‘मिथिला धाम हमर,गाम हमर बड़ निक लगैया’ गाकर आगन्तुक अतिथियों का स्वागत किया। महरैल पंचायत के मुखिया प्रो.गीतानाथ झा द्वारा समिति की ओर से सभी अतिथियों को मिथिला के परंपरानुसार पाग,माला एवं तौनी देकर सम्मानित किया गया।

विशिष्ट अतिथि अनुमंडल पदाधिकारी शैलेश कुमार चौधरी ने मिथिला विजय स्तंभ के दसवें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि कंदर्पी घाट के ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की आवश्यकता है। इसके लिए उन्होंने प्रशासन की ओर से पूरा सहयोग करने का आश्वासन दिया।

कंदर्पी घाट स्थित मिथिला विजय स्तंभ परिसर में आयोजित समारोह के मुख्य वक्ता सह मुख्य अतिथि सेवानिवृत्त अपर सचिव डॉ रंगनाथ चौधरी दिवाकर ने समारोह को संबोधित करते हुए आयोजन समिति एवं शिम्मर सांस्कृतिक मंच के प्रति आभार जताया। स्वयं को गौरवान्वित होते हुए डॉ चौधरी ने मिथिला गौरव प्रतीक विजय स्तंभ से जुड़े ऐतिहासिक महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला।

उन्होंने मिथिला के हरिणा प्रक्षेत्र के विशाल मैदान में मुस्लिम शासक अलीवर्दी खां और मिथिला नरेश नरेन्द्र सिंह के बीच राज्य कर को लेकर भारी संग्राम के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि इस युद्ध में जाति धर्म से ऊपर उठकर समाज के लोगों द्वारा लड़ाई लड़ी गयी थी।

जिसमें मिथिला वासी को विजयश्री मिला। युद्ध में अमर शहीदों की याद में जन सरोकार के सहयोग से विजय स्तंभ की स्थापना कर मैं स्वयं को भाग्यशाली मानता हूं कि यह महती कार्य मुझ द्वारा संपन्न हो पाया। मंथन सत्र का संचालन साहित्यकार डॉ संजीव शमा ने साहित्यिक अंदाज में कर समारोह को सफल बनाने में अहम भूमिका निभाया।

स्थापना दिवस समारोह के दूसरे सत्र में कवि आनंद मोहन झा के संचालन एवं डॉ महेन्द्र नारायण राम की अध्यक्षता में कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी में कवि हरिदेव झा,स्वर्णिम किरण, डॉ.अनिल ठाकुर,डॉ.संजीव शमा,उमेश नारायण कर्ण कल्प कवि, कल्याणी देवी, आनंद कुमार झा,मलयनाथ मंडन,कवि अमरनाथ झा समेत दर्जनों कवियों ने एक से बढ़कर एक अपनी रचना का पाठ किया।

समारोह के संयोजक सुमित सुमन ने कहा कि आज से दस वर्ष पूर्व झंझारपुर के पूर्व अनुमंडल पदाधिकारी रहे डॉ रंगनाथ चौधरी दिवाकर ने मिथिला के सपूत वीर शहीदों की याद में विजय स्तंभ की स्थापना कर इतिहास रच डाला। समारोह का आयोजन कंदर्पी समिति एवं शिम्मर सांस्कृतिक मंच द्वारा किया गया।

इस मौके पर सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ ‘मिथिला गौरव प्रतीक कंदर्पी’ शीर्षक से बना वृत्त चित्र का प्रदर्शन पहली बार किया गया। समारोह में पधारे अतिथियों का स्वागत मुखिया प्रो गीतानाथ झा ने किया। वहीं प्रो केदारनाथ झा ने आभार प्रकट करते हुए सभी अतिथियों को धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में संयोजक सुमित सुमन, दीपक मिश्रा, रवि राज, फूल सिंह, अजय कुमार झा, मिहिर ठाकुर, दीपक मिश्रा आदि थे।

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