यूपी:सुप्रीम कोर्ट का फैसला बढ़ा सकता है योगी सरकार की परेशानी
राज प्रताप सिंह,ब्यूरो लखनऊ
लखनऊ।प्रमोशन में आरक्षण का मामला राज्य सरकारों पर छोड़ देने का सुप्रीम कोर्ट का फैसला उत्तर प्रदेश सरकार के लिए भी परेशानी का सबब बन सकता है। फैसला आते ही इसके विरोध व समर्थन में गोलबंदी तेज हो गई है। एससी-एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलट देने के बाद प्रदेश सरकार पहले से सवर्णों की नाराजगी झेल रही है।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सीधे तौर पर प्रमोशन में आरक्षण को खारिज नहीं करते हुए इसे राज्यों पर छोड़ दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर राज्य सरकारें चाहें तो वे प्रमोशन में आरक्षण दे सकती हैं।
यह फैसला आते ही इस पर राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएं भी आने लगीं। बसपा अध्यक्ष मायावती ने इस फैसले का स्वागत किया और राज्य सरकार से एससी-एसटी को प्रमोशन में आरक्षण देने की मांग की।
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प्रमोशन में आरक्षण की मांग को लेकर अनुसूचित जाति-जनजाति के कई संगठन खासकर सरकारी नौकरी कर रहे इस वर्ग के अधिकारी-कर्मचारी पहले से ही अभियान चला रहे थे। उधर, कुछ दूसरे कर्मचारी संगठन सुप्रीम कोर्ट के पिछले फैसले को बरकरार रखने और प्रमोशन में आरक्षण की मांग को गैरवाजिब बताते हुए अपना विरोध दर्ज करा रहे थे।
एससी-एसटी एक्ट से संबंधित मुकदमे में बिना जांच के गिरफ्तारी का प्रावधान करके भाजपा की अगुवाई वाली केंद्र सरकार पहले से सवर्णों के निशाने पर है। प्रदेश में भी भाजपा की ही सरकार होने के कारण प्रदेश सरकार भी इस नाराजगी का शिकार हो रही है।
ऐसे में अब यदि प्रमोशन में आरक्षण का भी प्रावधान किया जाता है तो यह नाराजगी और बढ़ने का अंदेशा है। शायद यही वजह है कि इस मुद्दे पर भाजपा या उसकी अगुवाई वाली प्रदेश सरकार की कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया अब तक सामने नहीं आई है।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर ही पूर्ववर्ती अखिलेश सरकार ने प्रमोशन में आरक्षण पाने वालों को रिवर्ट कर दिया था। सबसे पहले यूपी की तत्कालीन सपा सरकार ने ही सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अनुपालन करते हुए प्रमोशन में आरक्षण का लाभ पाने वालों को झटका दिया था और बड़ी संख्या में एससी-एसटी वर्ग के अधिकारी व कर्मचारी प्रोन्नति वाले पद से रिवर्ट हुए थे। अब यह संयोग ही है कि इस समय सपा खुद प्रमोशन में आरक्षण की समर्थक बसपा के साथ गठबंधन की संभावना तलाश रही है।