जब डीजीपी से ये पूछा गया कि क्या ये पुलिस के सूचना तंत्र और व्यवस्था की नाकामी है,इस पर डीजीपी ने कहा कि नहीं कोई नाकामी नहीं हुई है।
लखनऊ,ब्यूरो:राज प्रताप सिंह
लखनऊ।एससी/एसटी एक्ट में सुप्रीम कोर्ट के बदलाव के फैसले के विरोध में 2 अप्रैल (सोमवार) को दलित संगठनों के भारत बंद के चलते कई राज्यों में प्रदर्शन हिंसक हो गया।इस हिंसा में उत्तर प्रदेश के मेरठ और मुजफ्फरनगर में एक-एक व्यक्ति की जान चली गई।पूरी मामले में प्रदेश के डीजीपी ओपी सिंह ने कहा कि स्थिति अब पूरी तरह से नियंत्रण में है।हमने अतिरिक्त फोर्स तैनात की हैं।मेरठ जोन और आगरा जोन पर हमारी विशेष नजर है।मौके पर हमने इंटेंसिव पेट्रोलिंग शुरू कर दी है. लोगों से बातचीत की जा रही है।मामले में काफी लोग गिरफ्तार भी हुए हैं,जिन्हें जेल भेजा गया है।उन्होंने कहा कि अब सख्ती से कार्रवाई की जाएगी।
मेरठ में पूर्व विधायक और बसपा नेता योगेश वर्मा की गिरफ्तारी पर डीजीपी ने कहा कि वह इस पूरे मामले में लिप्त थे,इसलिए उन्हें गिरफ्तार किया गया है।जब डीजीपी से ये पूछा गया कि क्या ये पुलिस के सूचना तंत्र और व्यवस्था की नाकामी है,इस पर डीजीपी ने कहा कि नहीं कोई नाकामी नहीं हुई है. ये पूरे देश में चला है।कई राज्य इससे प्रभावित हुए हैं।उत्तर प्रदेश भी इससे प्रभावित हुआ है।पुलिस बल ने जगह-जगह जाकर लोगों को शांत किया।जहां जरूरी हुआ, वहां लाठीचार्ज भी किया।आगजनी आदि की घटनाओं में शामिल लोगों को गिरफ्तार किया।पुलिस द्वारा उचित कार्रवाई की गई है।
बता दें दलित आंदोलन की आग से पश्चिमी यूपी सबसे ज्यादा प्रभावित रहा।मेरठ,मुजफ्फरनगर, फिरोजाबाद,हापुड़,बिजनौर और बुलंदशहर सहित पश्चिमी यूपी के जिलों में जमकर तोड़फोड़ और हिंसा हुई।इस हिंसक प्रदर्शन के बाद केंद्र ने हिंसा वाले राज्यों से रिपोर्ट मांगी है।
यूपी के गृह विभाग ने प्रदेश के हिंसा वाले जिलों की पूरी रिपोर्ट तलब की है।दोषी अफसरों व हिंसा करने वाले अराजक तत्वों के खिलाफ कार्यवाही की तैयारी हो रही है।लेकिन सवाल ये है कि क्या सरकार का खुफिया तंत्र फेल हो रहा है।कारण ये है कि जिस दलित आन्दोलन की पहले से तैयारी थी।इसकी जानकारी सरकार और अफसरों को थी।बाकायदा दलित फ्रंट के युवकों की ओर से सोशल मीडिया पर कैम्पेन चलाया जा रहा था तो सरकारी अमला क्या कर रहा था।