थरथरी। विश्वमित्र अपने यज्ञ कर रहे थे लेकिन यज्ञ पूर्ण नही हो रहा था यज्ञ स्थल पर दुष्ट यज्ञ को क्षति पहुँचा रहे थे। भगवान श्रीराम और लक्षमण को यज्ञ मे शामिल कर यज्ञ को पूर्ण किया गया। थरथरी प्रखंड के मेहत्रावाँ गाँव में दस दिवसीय संगीतमय रामचरित्र मानस यज्ञ सह श्रीराम कथा के तीसरे दिन गुरूवार को श्रीराम विवाह का प्रसंग सुनाते हुए पंडित अमित माधव जी महाराज ने कहा कि भगवान श्रीराम सत्य स्वरूप है जनकपुर मे भी धनुष यज्ञ का आयोजन था कहने के तो स्वयंवर मे दुर दुर से राजाओ पहुँचे थे लेकिन धनुष यज् का फल सीता भगवान श्रीराम को ही प्राप्त हुआ। कलाकारो ने राम विवाह की झांकी निकाली श्री राम विवाह का जीवंत प्रस्तुति किया गया। महाराज अमित माधव जी ने कहा कि जब राजा दशरथ श्रीराम को राजा बनाने की घोषणा की तो श्रीराम खुश नही थे लेकिन अपने पिता के आज्ञा से वन को जा रहे थे तो उनके चेहरे पर सुकुन था। इधर ग्रामीण नवल प्रसाद, राजीव कुमार, रूदल विन्द, शंकर पासवान ने बताया कि प्रवचन सुनने के लिए दर्जनों गाँव के लोग प्रत्येक दिन शाम में कथा सुनने पहुँच रहे है। आचार्य मुकेशानंद शास्त्री ने बताया कि मेहत्रावाँ गाँव मे संगीतमय श्रीरामचरित्र मानस यज्ञ के लिए 11 आर्चाय अनुष्ठान मे जुटे हुये है। हरिओम पाण्डेय, विवेकान्द उपाध्याय, दिवाकर पाण्डेय, मनोज कुमार पाण्डेय एवं अन्य आर्चाय मौजूद थे।
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