लखनऊ,ब्यूरो:राज प्रताप सिंह
उर्दू जुबान और शायरी को विश्व भर में दर्जा दिलाने का काम करने वाले मशहूर शायर अनवर जलालपुरी को निधन मंगलवार को हो गया। 71 वर्षीय अनवर जलालपुरी बीती 28 दिसम्बर से लखनऊ मेडिकल कॉलेज में वेंटीलेटर पर थे। वो ब्रेन हैमरेज से पीड़ित थे। मंगलवार 10 बजे उनका निधन हुआ। अनवर जलालपुरी को मुख्य रूप से मुशायरों में निजामत करने के लिए जाना जाता था। उनकी निजामत का तरीका कुछ ऐसा था कि वो माहौल बना देते थे। मदरसा बोर्ड के चेयरमैन रह चुके अनवर जलालपुरी ने विश्व के अधिकतर देशों में मुशायरों की शमां अपनी निजामत में रोशन की है। उर्दू साहित्य में योगदान को देखते हुए साल 2015 में अनवर जलालपुरी को उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से सर्वोच्च पुरस्कार यश भारती प्रदान किया गया। इसके साथ ही भागवतगीता को उर्दू में अनुवाद कर अनवर जलालपुरी ने मिसाल कायम की है। जिसकी पूरे देश में प्रशंसा हुई। अनवर जलालपुरी कौमी एकता के प्रतीक के रूप में जाने जाते थे, वो हमेशा उर्दू और हिन्दी को एक मंच पर लाने का प्रयास करते थे। अनवर जलालपुरी को अन्तिम संस्कार उनके पैतृक गांव जलालपुर में किया जायेगा।
-गीता एल्बम को मोदी से लोकार्पण करवाने की थी चाहत
अनवर जलालपुरी द्वारा उर्दू में अनुवादित भगवतवत गीता को संगीत में ढाल कर एल्बम बनाने की तैयारी की जा रही है। जिसका संगीत अनूप जलोटा ने दिया है। लगभग तैयार हो चुकी एल्बम को विमोचन अनवर जलालपुरी प्रधानमंत्री मोदी से करवाना चाहते थे।