देश में नरेंद्र मोदी की सरकार का कार्यकाल अब लगभग पूरा होने को है और ऐसे में जरुरी हो जाता है कि सरकार की नीतियों एवं उसके उपलब्धियों का मूल्यांकन किया जाए। इस दृष्टिकोण से सरकार के काम-काज को आंतरिक और बाह्य दोनों मोर्चों पर देखा जा सकता है। आतंरिक मोर्चे पर सरकार की तीन-चार ऐसी उपलब्धियां गिनाई जा सकती है जिसे शायद विपक्ष भी स्वीकार करेगा। मसलन, सबसे बड़ी बात यह कि सरकार की सूझबूझ से लंबे समय से अटके जीएसटी बिल को पारित करवाकर लागू करवाना है। इसे भारत में आर्थिक स्वतंत्रता की शुरुआत भी कहा जा सकता है।
डॉ बीरबल झा की कलम से
‘प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना’ भी सरकार का एक सराहनीय प्रयास रहा जिसके अंतर्गत सरकार ने 5 करोड़ गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन करने वाले परिवारों को मुफ्त में एलपीजी कनेक्शन उपलब्ध कराने का वादा निभाया। ‘आयुष्मान भारत’ नाम से शुरू हुई योजना भी सरकार की एक उपलब्धि कही जा सकती है जिसमें 10 लाख गरीब और कमजोर परिवारों को हर साल 5 लाख रुपए का स्वास्थ्य बीमा देने का प्रावधान है। मीडिया में इस योजना को दुनिया की सबसे बड़ी सरकारी योजना बताया गया। इसी तरह, ‘स्वच्छ भारत’ के लिए प्रधानमंत्री ने खुद अपनी रुचि दिखाई है और ‘स्वच्छ भारत’ अभियान को एक जन-आंदोलन बना दिया है। जन धन योजना के जरिए अधिकतम संख्या में बैंक खाते खोलने और ‘डाईरेक्ट कैश ट्रांसफर स्कीम’ ने भी सरकार को खूब चर्चित बनाए रखा। इधर अंतिम समय में सरकार ने ‘सबका साथ, सबका विकास’ के अपने घोषित नारे को आगे बढ़ाते हुए जिस तरह आर्थिक आधार पर सभी वर्गों के सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने का तीव्र फैसला लिया, उसे भी मोदी सरकार का एक क्रांतिकारी फैसला कहना ही उचित होगा।
यह कहा जा सकता है कि सामाजिक-आर्थिक क्षेत्र में सरकार ने कई अच्छे और बड़े कदम उठाए तो उसने नोटबंदी और जीएसटी जैसे कुछ कठिन और विवादित फैसले भी लिए जिसकी खूब आलोचना हुई। इसी तरह, रोजगार, किसानों के कर्ज एवं आय दुगुनी करने का वादा और महंगाई जैसे मुद्दों पर सरकार घिरती भी नज़र आयी। यद्यपि सरकार ने कौशल विकास योजना, मुद्रा योजना, स्टार्ट-अप जैसी कई योजनाएं भी शुरू की लेकिन उनसे अभी तक अपेक्षित नतीजे तो नहीं ही मिले हैं। फिर भी, आर्थिक मोर्चे पर भारत जिस तरह से दुनिया में सर्वाधिक तेज़ी से बढ़ती हुई बड़ी अर्थव्यवस्था बन रहा है, उससे कोई इंकार नहीं कर सकता। आज भारत की जीडीपी विकास दर लगभग 7 प्रतिशत के आसपास बनी हुई है। वैसे, मुझे सरकार की जीएसटी नीति को लेकर एक सख़्त शिकायत है। सरकार ने अंग्रेजी भाषा कौशल, जिसे सॉफ्ट स्किल कहा जाता है, की ट्रेनिंग देने पर भी जीएसटी लगा दिया है जबकि अंग्रेजी स्कूलों पर ऐसा कोई टैक्स नहीं है। यह कही से भी उचित नहीं है क्योंकि यह गरीब बच्चों को आगे बढ़ने के अधिकार से रोकने वाला कदम है। आशा है, सरकार इसमें जल्द सुधार करेगी।
मोदी सरकार को यदि हम बाहरी मोर्चे पर देखें तो यह कहा जा सकता है कि सरकार ने अपनी विदेश नीति को भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूत काफी किया है।
पिछले चार वर्षों के दौरान प्रधानमंत्री ने विश्व के कई देशों का दौरा किया और वे जहां भी गए वहां अपनी एक अलग छाप छोड़ी। एक तरफ पाकिस्तान से संबंध सुधारने के लिए प्रोटोकॉल तोड़कर वे वहां के प्रधानमंत्री से मिलने पाकिस्तान गए तो दूसरी तरफ सर्जिकल स्ट्राइक करके यह संदेश भी दिया कि विनम्रता का अर्थ कमजोरी नहीं है। वैश्विक स्तर पर सार्क उपग्रह लांच कर सरकार ने भारत की एक अलग पहचान बनाई है, जिसका पाकिस्तान को छोड़कर सभी सार्क देशों ने स्वागत किया। इसी तरह, सरकार ने सैनिकों की लंबे समय से लंबित ‘वन रैंक, वन पेंशन’ की मांग को भी पूरा किया है।
कुल मिलाकर, मोदी सरकार की उपलब्धियों को औसत से बेहतर कहना ही उचित होगा। वैसे, भारत जैसे एक बड़े देश में जनता की सभी अपेक्षाओं को कोई सरकार पूरा नहीं कर सकती लेकिन देखना यह होगा कि एनडीए सरकार ने अपनी चुनावी घोषणापत्र के वादे को कितना निभाया है।
इस लिहाज़ से अयोध्या मामला, कश्मीर मुद्दा, रोज़गार और किसानों के मुद्दे को सरकार जब तक हल नहीं कर लेती, विपक्ष उसे परेशान करता रहेगा। फिर भी, देश हित में पारदर्शी और भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन देने में यह सरकार लगभग सफल रही है और इसके लिए सरकार की तारीफ भी होनी चाहिए।