माल लखनऊ (राम किशोर रावत) : स्वस्थ्य भारत व स्वच्छ भारत मिशन बनाने के लिए करोड़ों रुपए पानी की तरह खर्च किया जा रहा है। वही विभागीय अधिकारियों व कर्मचारियों की मिलीभगत के चलते माल विकासखंड की दर्जनों पंचायतों में तैनात सफाई कर्मचारी सिर्फ ब्लॉक के अलावा पंचायतों में जाने की जरूरत ही नहीं समझते हैं जिससे पंचायतों में महीनों से गंदगी से पटी पड़ी हैं नालियां और गांव में लगे हैं कूड़े के ढेर जिससे किसी भी समय ग्रामीणों को बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
ग्रामीणों के शिकायत करने के बाद भी कोई जिम्मेदार अधिकारी मुड़कर देखने वाला नहीं दिखाई दे रहा है। सिर्फ झाड़ू लगाकर फोटो खिंचवाकर स्वच्छ भारत वह स्वस्थ भारत बनने वाला नहीं है इसकी जमीनी हकीकत क्या है यह ग्रामीण क्षेत्र मे किसी भी समय देखा जा सकता है। माल विकासखंड की ग्राम पंचायत चंदवारा करेंद आट गढी सौरा पारा भदराही माल थरी सहित क्षेत्र के दर्जनों पंचायतों में सफाई कर्मचारियों की तैनाती होने के बाद भी यह सफाई कर्मी पंचायतों में जाने की जरूरत ही नहीं समझते हैं जिससे गांव में महीनों से बजबजाती हुई नालियों को किसी भी समय देखा जा सकता है वही गांव में महीनों से कूड़े के ढेरों को भी लगा देखा जा सकता है जिससे इलाके के नौजवानों और बच्चों के स्वास्थ्य के साथ विभागीय अधिकारी व कर्मचारी खिलवाड़ करते देखे जा रहे हैं। सबसे बड़ी बात तो यह है कि यह सफाई कर्मचारी पंचायतों में तो नहीं पहुंचते हैं लेकिन विकासखंड मुख्यालय पर एडीओ पंचायत के कार्यालय व ब्लॉक में ड्यूटी के समय टहलते किसी भी समय को देखा जा सकता है।वही सरकार स्वास्थ्य भारत व स्वच्छ भारत बनाने के लिए करोड़ों रुपए पानी की तरह खर्च कर रही है लेकिन यह देखने वाला कोई नहीं है कि ग्रामीण इलाके में तो सफाई कर्मी कसम खा चुके हैं कि यह स्वास्थ्य भारत व स्वच्छ भारत का मिशन कभी सफल नहीं होने देंगे।ग्रामीणों के शिकायत करने के बावजूद भी कोई भी जिम्मेदार अधिकारी इन सफाई कर्मचारियों को देखने वाला नहीं है कि यह सफाई कर्मी पंचायतों में सफाई करने जाते हैं या नहीं। जिसके चलते माल विकासखंड की लगभग अधिकार पंचायतों में कई महीनों से गंदगी से बजबज आती ना लिया देखी जा सकती हैं इतना ही नहीं गांव में कूड़े के भी ढेर लगे किसी भी समय देखे जा सकते हैं यह सब खेल ग्राम पंचायत अधिकारी से लेकर ग्राम प्रधान तक देखते रहते हैं उसके बाद भी साफ सफाई के नाम पर शून्य साबित होता देखा जा रहा है।वही सरकार स्वच्छ भारत व स्वस्थ भारत बनाने के लिए बड़े-बड़े दावे कर रही है लेकिन इसकी जमीनी हकीकत तो माल विकासखंड की किसी भी पंचायत में देखा जा सकता है मजबूरन ग्रामीणों को गंदगी मे रहना पड़ रहा है जिससे नौजवान बच्चों के स्वास्थ्य के साथ भी खुलेआम जिम्मेदार खिलवाड़ करते सांफ देखे जा रहे हैं सबसे बड़ी बात तो यह है। इन सफाई कर्मचारियों को भी देखना चाहिए कि यह आखिर पंचायतों में किस तरह से अपना कर्तव्य निभा रहे हैं। यह कोई भी जिम्मेदार अधिकारी देखने वाला नहीं दिखाई दे रहा है अगर यह जानकारी हो जाएगी किसी भी गांव या पंचायत में कोई भी जिम्मेदार अधिकारी आने वाला है तो सारे पंचायतों के सफाई कर्मचारी एकत्रित होकर एक दो दिन पहले ही पूरे गांव को साफ सफाई से चमका देते हैं वही जिम्मेदार अगर कहीं दूसरी पंचायत का भी निरीक्षण कर ले तो इनकी सच्चाई खुद बयां हो जाएगी लेकिन यह कोई भी अधिकारी करने वाला नहीं है क्योंकि किसी भी गांव या पंचायत पहुंचने से पहले ही ब्लॉक के सारे अधिकारियों कर्मचारियों को जानकारी हो जाती है कि किस पंचायत का निरीक्षण होने वाला है। इतना ही नहीं ₹200 दिन के हिसाब से लेबर को भी सफाई कर्मी अपनी जगह पर काम करने के लिए लगा देते हैं और वह स्वयं अफसर बनकर घूमते रहते हैं।