माल/लखनऊ : क्षेत्र में सुप्रीमकोर्ट के निर्देशऔर पर्यावरण कोधताबता कर हरेभरे पेड़ों का अवैध कटान जारी है।जिससे वन विभाग और पुलिस दोनों अनजान बने हुये हैं। जहां सूबे की सरकार ने गत माह में बाईस लाख पौधों को एक दिन में रोपित कर पर्यावरण को बचाने का कीर्तिमान बनाकर विश्व रिकार्ड कायम कर गिनीज़ बुक में नाम दर्ज कराया है।वहीं मलिहाबाद फल पट्टी क्षेत्र में आने वाले माल विकास खंड में इन्हीं हरे भरे पौधों पर पुलिस और वन विभाग की नाक के नीचे धरासायी कर पर्यावरण और सुप्रीमकोर्ट के निर्देशों की धज्जियां उड़ाई जा रही है। ऐसा नही है कि पुलिस और वन विभाग इससे अनजान है।
ग्रामीणों के मुताबिक अवैध कटान पर पुलिस और वन विभाग के लोग आते जाते दिखते रहते हैं।आंटगढ़ीसौंरा पंचायत के मजरे जानकीनगर में कुंदन के पन्दरह पेंड कलमी आम के बिना परमिट रातो रात काटकर ठेकेदार ने लकड़ी उठा ली।जबकि पेड़ों के ठूंठ और पलवांसा (पत्तीवाला हिस्सा)मौके पर देखा जा सकता है।उधर
शंकरपुर गांव निवासी लाला पुत्र श्रीपाल के भी नौ पेंड कलम आम बिना परमिट के ठेकेदारों द्वारा रातोरात काट कर उठा लिए गये जबकि ठूंठ और ईंधन अभी बाग में मौजूद देखा जा सकता है।सबसे बड़ी बात वन विभाग की रुदानखेड़ा गांव स्थितवन विभाग की चौकी से मात्र दो सौ मीटर की दूरी पर केड़ौरा गांव निवासी रामपाल की माल भरावन मुख्य मार्ग पर पांच कलमी आम के पेड़ दिन दहाड़े काट दिये गये जिनके ठूंठ भी अभी मौजूद हैं।इस सम्बंध में जब वह विभाग के रेंजर विकास सक्सेना से बात की गयी तो उन्होंने कहा कि परमिट तो कोई नही है।कल ऑफिस आ जाइये बैठकर बात होती है।साथ ही सम्बंधित ठेकेदार को फ़ोनकर बताया कि अमुख पत्रकार खबर भेज रहे है।उनसे संपर्क कर लो।फिर ठेकेदार ने दबाव बनाना शुरू कर दिया।जिससे साफ जाहिर है कि हरियाली पर आरा चलवाने की वन विभाग को पुख्ता जानकारी ही नहीं संलिप्तता रहती है।
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वन रक्षक बना भक्षक
इन हरे भरे पेड़ों की रखवाली करने की जिम्मेदारी वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों की है लेकिन वही वहीं क्षेत्रीय वन विभाग के जिम्मेदार ठेकेदारों से सांठगांठ कर प्रति पेड़ के 500 से लेकर ₹1000 तक वसूल कर बिना परमिट के हरे भरे दर्जनों पेड़ों पर खुलेआम चल वाया जा रहा आरा शिकायत होने पर खानापूर्ति करके वाहवाही लूटते हैं जिम्मेदार सबसे बड़ी बात तो यह है कि वन विभाग की चौकी से 100 मीटर की दूरी पर सड़क किनारे हरे भरे पेड़ों को लकड़ी माफियाओं द्वारा कटवाया गया लेकिन वन विभाग के जिम्मेदारों को भनक तक नहीं लग सकी।
पुलिस की शह पर भी चल रहा कारोबार
माल पुलिस भी इस कारोबार में पूरी तरह से अपना योगदान निभा रही है पुलिस ठेकेदारों द्वारा खरीदी गई लकड़ी में से 50% अपना कमीशन लेकर खुलेआम हरियाली को पूरी तरह से समाप्त कराने में कहीं पीछे हटते नहीं देखी जा रही है माल पुलिस शिकायत होने पर खानापूर्ति करने का आश्वासन देकर फिर ठेकेदार को पेड़ काटने का दिया जाता है परमिशन।
करोड़ो रुपए खर्च कर लगाए जाते हैं पेड़
वही करोड़ो रुपए खर्च करने के बाद हरे भरे पेड़ों को सरकार द्वारा लगवाए जाते हैं इन्हीं जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा इन पेड़ों को वृक्षारोपण करते समय फोटो खिंचवाते हैं लेकिन जब इन्हीं अधिकारियों की शह पर हरे भरे प्रतिबंधित पेड़ों को कटवाया जाता है तब इन अधिकारियों द्वारा ना कोई फोटो खींची जाती है सिर्फ सुविधा शुल्क लेकर अपनी जेब भरने का काम करते हैं।
जिम्मेदार बने रहते हैं अनजान
बिना परमिट के कटने वाली किसी भी लकड़ी के विषय में वन विभाग या पुलिस से संपर्क करने पर सिर्फ दिखवा कर कार्यवाही करने का आश्वासन दिया जाता है लेकिन यह आश्वासन भी हवा हवाई साबित होता रहता है जबकि सूत्रों की माने तो इस कारोबार में वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों की शह पर ही या कारोबार किया जाता है कार्यवाही के नाम पर खानापूर्ति करके ठेकेदार की हर संभव मदद करते हैं वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारी रक्षक ही भक्षक बन रहे हैं तो फिर कौन करेगा इस फल पट्टी क्षेत्र की रखवाली।