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ब्लड मून :: सदी का सबसे लंबा चंद्रग्रहण शुरू, 103 मिनट तक खूबसूरत नजारा

डेस्क : 104 साल बाद यानी 21वीं सदी का सबसे लंबा चंद्रग्रहण (Longest total lunar eclipse) शुरू हो गया है. भारत में चंद्रग्रहण शुक्रवार देर रात 11 बजकर 54 मिनट पर शुरू हुआ. हालांकि, दिल्ली-एनसीआर में खराब मौसम होने के कारण चांद साफ नज़र नहीं आ रहा है. आसमान में एक अद्भुत नजारे को देखने के लिए लोग बेसब्री से इंतजार कर रहे थे.

चंद्रग्रहण (Chandra grahan) के दौरान चंद्रमा की चमक थोड़ी सी धूमिल होती है लिहाजा आमतौर पर आपको इसका पता नहीं चलता है. रात्रि 11:53:48 बजे छाया का ग्रहण आरंभ हुआ, अर्थात चंद्रमा ने पृथ्वी की घनी छाया में प्रवेश किया. 

इसी के साथ चंद्रमा की गोल आकृति धीरे-धीरे काली पड़ती दिखाई देगी. धीरे-धीरे चंद्रमा की गोल आकृति और भी ज्यादा मुख्य छाया में छुपती जाएगी. 

रात्रि 00:59:39 बजे चंद्रमा पूरी तरह से पृथ्वी की घनी छाया में प्रवेश कर जाएगा. यह क्षण होगा पूर्णता की स्थिति के आरंभ का और तब चंद्रमा पूरी तरह से अदृश्य नहीं हो जाएगा. तब यह चंद्रमा लाल आभा लिए हुए नजर आएगा.यह एक बेहद खूबसूरत नजारा होगा जो 103 मिनट तक रहेगा क्योंकि इस बार चंद्रमा पृथ्वी की छाया के केंद्रीय भाग से होकर गुजर रहा है तो पूर्ण ग्रहण के समय इसकी गोल आकृति एक समान लालिमा लिए हुए होगी. 

यह नजारा 103 मिनट का है और 02:43:14 बजे पर चंद्रमा पृथ्वी की घनी छाया से बाहर आने लगेगा. उस समय लाल रंग धीरे धीरे खत्म होने लगेगा. चंद्रमा का चमकीला हिस्सा भी दिखने लगेगा और आंशिक ग्रहण की शुरुआत फिर से हो जाएगी. यह आंशिक ग्रहण 3:49:02 बजे पर खत्म हो जाएगा, उसके बाद यह चंद्रमा पृथ्वी के उपछाया में आ जाएगा तब चंद्रमा लगभग सामान्य रूप से चमकने लगेगा. उपछाया का ग्रहण 05:00:05 बजे खत्म हो जाएगा और इसी के साथ इस बार का चंद्र ग्रहण खत्म हो जाएगा.

चंद्र ग्रहण क्यों होता है?

इसका सीधा सा जवाब है कि चंद्रमा का पृथ्वी की ओट में आ जाना. उस स्थिति में सूर्य एक तरफ, चंद्रमा दूसरी तरफ और पृथ्वी बीच में होती है. जब चंद्रमा धरती की छाया से निकलता है तो चंद्र ग्रहण पड़ता है.

चंद्रग्रहण पूर्णिमा के दिन ही पड़ता है

चंद्रग्रहण पूर्णिमा के दिन पड़ता है लेकिन हर पूर्णिमा को चंद्र ग्रहण नहीं पड़ता है. इसका कारण है कि पृथ्वी की कक्षा पर चंद्रमा की कक्षा का झुके होना. यह झुकाव तकरीबन 5 डिग्री है इसलिए हर बार चंद्रमा पृथ्वी की छाया में प्रवेश नहीं करता. उसके ऊपर या नीचे से निकल जाता है. यही बात सूर्यग्रहण के लिए भी सच है.

सूर्यग्रहण हमेशा अमावस्या के दिन होते हैं क्योंकि चंद्रमा का आकार पृथ्वी के आकार के मुकाबले लगभग 4 गुना कम है. इसकी छाया पृथ्वी पर छोटी आकार की पड़ती है इसीलिए पूर्णता की स्थिति में सूर्य ग्रहण पृथ्वी के एक छोटे से हिस्से से ही देखा जा सकता है. लेकिन चंद्र ग्रहण की स्थिति में धरती की छाया चंद्रमा के मुकाबले काफी बड़ी होती है. लिहाजा इससे गुजरने में चंद्रमा को ज्यादा वक्त लगता है.

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