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सरकारी स्कूलों में दम तोड़ती कम्प्यूटर शिक्षा, कबाड़ख़ाने में तब्दील होती कंप्यूटर लैब

झंझारपुर मधुबनी (डॉ संजीव शमा) : अनुमंडल के हाई स्कूलों में नहीं होती है कम्प्यूटर कि पढाई । जबकि आधुनिक शिक्षा के बदलते परिवेश में कम्प्यूटर शिक्षा को अनिवार्य माना गया है ।

  • बदलते परिवेश में कम्प्यूटर शिक्षा से वंचित हैं सैकड़ों छात्र – छात्रायें

आज हर क्षेत्र में कम्प्यूटर कि मांग है ऐसे में सरकार का ध्यान शिक्षा प्रणाली कि तरफ क्यों नहीं है यह अपने आप में एक सवाल है। या यूं कहें कि विद्यालय में शिक्षा व्यवस्था ही बेपटरी हो चुका है । कुछ वर्ष पूर्व कम्प्यूटर शिक्षा के प्रति सरकार जागरूक हुई थी । राज्य के सभी हाई स्कूलों में ग्यारह – ग्यारह कम्प्यूटर की व्यवस्था भी कि गई थी ।

सभी स्कूलों में अलग से कम्प्यूटर रूम की भी व्यवस्था कि गई थी और कहीं कहीं तो वतानुकूलित रूम कि भी व्यवस्था कि गई और जो छात्र कम्प्यूटर कि शिक्षा लेना चाहते थे उनको नामांकन शुल्क के अलावा प्रति माह कुछ राशि भी देनी पड़ती थी। कंपनी के माध्यम से कम्प्यूटर शिक्षकों कि बहाली कॉन्टेक्ट पर हुई थी । बाद में कुछ नियोजित शिक्षक कम्प्यूटर के बहाल किये गये । कॉन्टेक्ट पर बहाल शिक्षकों को न जाने किन कारणों से ग्रहण लग गया और कम्पनी से निविदा समाप्त होने के बाद वे शिक्षक फिर विद्यालय नहीं लौटे और सरकार की कम्प्यूटर शिक्षा धरी की धरी रह गयी । फिर आज तक कोई सुध लेने वाला नहीं हुआ । विद्यालय सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक आज भी शिक्षक के आभाव में कम्प्यूटर बन्द पड़े हैं ।

कम्प्यूटर रूम के खिड़की दरवाजे को जंग खा रहा है । कमरे और कम्प्यूटर कि सफाई कि कौन कहे रूम का ताला भी नहीं खुलता रूम के अन्दर कीड़े – मकोड़े का राज्य कायम हो चुका है। सूत्र बताते हैं कि बहुत स्कूलों के कम्प्यूटर कहाँ गायब है इसका कोई अता पता नहीं । यह भी एक जाँच का विषय है । देखना यह है कि सोई हुई सरकार की नींद कब खुलती है ? कब सरकार के इस महत्वाकांक्षी योजना का समुचित लाभ छात्रों को मिल पाता है ? सूत्र बताते हैं कि ग्रामीण क्षेत्र से लेकर नगर तक में संचालित विद्यालयों में बिना सूचना दिये कई एचएम व शिक्षक कई कई दिन तक गायब रहते हैं । जो शिक्षा विभाग की लापरवाही को उजागर करने के लिए काफी है । स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था बेपटरी हो गयी है । शिक्षा विभाग के निर्देश पर जिला से लेकर प्रखंड स्तर तक के पदाधिकारियों को निरीक्षण की जिम्मेदारी सौंपी गई जो हाथी के दो दाँत साबित हुआ ।

पदाधिकारियों द्वारा केवल खानापूर्ति किया गया । स्कूल की व्यवस्था बेपटरी होने की जानकारी विभाग को प्राप्त है । बावजूद शिक्षा पदाधिकारी अपने रवैये से बाज नहीं आते । बता दें कि शिक्षकों का विलंब से स्कूल पर आना, समय से पहले ही बच्चों को घर भेज देना आम बात हो चुकी है । अब तो शिक्षक बेखौफ होकर बिना सूचना के ही स्कूल से गायब रहने के अभ्यस्त होते जा रहे हैं । इस बात का खुलासा शिक्षा विभाग द्वारा स्कूलों के अनुश्रवण में खुल कर सामने आया है । अधिकारी मानते हैं कि लगातार औचक निरीक्षण के साथ दोषी पाये जाने वाले एचएम एवं शिक्षकों पर कार्रवाई की आवश्यकता है ।

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