झंझारपुर मधुबनी संवाददाता : (डॉ संजीव शमा) – आइंस्टीन के सापेक्ष सिद्धांत को चुनौती देनेवाले करीब 40 साल से सिजोफ्रेनिया से पीड़ित महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह का गुरुवार की सुबह निधन हो गया । उनके निधन पर अनुमंडल मुख्यालय स्थित पार्वती लक्ष्मी कन्या विद्यालय में शिक्षकों एवं छात्राओं ने आत्मा की शांति के लिए दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित की । शोक सभा को संबोधित करते हुए प्राध्यापक डॉ अनिल ठाकुर ने बताया कि गुमनामी का जीवन बिता रहे बिहार के इस नायाब हीरे के निधन से हम सभी मर्माहत हैं ।
आर्मी से सेवानिवृत्त महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह का अंतिम समय तक सबसे अच्छा दोस्त किताब, कॉपी और पेंसिल ही बना रहा । आंइस्टीन के सापेक्ष सिद्धांत को चुनौती देनेवाले गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह अपने शैक्षणिक जीवनकाल में भी कुशाग्र थे । उन्होंने कहा कि पटना साइंस कॉलेज से पढ़ाई करनेवाले वशिष्ठ गलत पढ़ाने पर गणित के अध्यापक को बीच में ही टोक दिया करते थे । पटना साइंस कॉलेज में पढ़ाई के दौरान कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जे कैली ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और उन्हें अमरीका ले गये । वहीं, कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से ही उन्होंने पीएचडी की डिग्री ली और वॉशिंगटन विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर बन गये ।
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उन्होंने नासा में भी काम किया था । राष्ट्र भक्त गणितज्ञ श्री सिंह बाद में भारत लौट आये । उन्होंने आईआईटी कानपुर, आईआईटी बंबई और आईएसआई कोलकाता में नौकरी की । मौके पर विद्यालय के शिक्षक डॉ अनिल ठाकुर, डॉ संजीव, अमरनाथ राय, मोहन लाल, रुबी कुमारी, संदीप कुमार, हरेराम महतो , रुप नारायण यादव, कल्पना कुमारी, राजदेव महतो, तिलक महतो, पूनम सिंह छात्राओं में निशु कुमारी, प्रीति कुमारी, नेहा कुमारी, शिवानी कुमारी, कृति कुमारी, ब्यूटी कुमारी, जानकी कुमारी, पूजा कुमारी, निशा कुमारी तथा लिपिक मुकेश कुमार प्रसाद, सत्यनारायण यादव आदि मौजूद थे ।