राजकीय महोत्सव के रूप में महाकवि लालदास की जयंती मनाने कि प्रशासनिक स्तर से की जाएगी पहल
झंझारपुर मधुबनी/डॉ. संजीव शमा : महाकवि पं. लालदास संपूर्ण मिथिलांचल के धरोहर मात्र ही नहीं, वरण साहित्य जगत में संपूर्ण मिथिलांचल क्षेत्र की पहचान हैं। उनके साहित्यिक कृत्यों, चाहे वह गद्य-पद संग्रह हो या हमारे धार्मिक ग्रंथ सभी में वे मिथिला भाषा की छाप को छोड़ा है। मेरा जन्म स्थली मिथिला होने के बावजूद महाकवि लालदास जी के बारे में मुझे ज्ञात नहीं था कि यह क्षेत्र ऐसे महामानव का जन्मस्थली है।
मिथिला आदिकाल से विद्वानों एवं मनिषियों की धरती रहा है। यहां की लोहा और ख्याति संपूर्ण संसार में लोग मानते रहे हैं। आज ऐसे महापुरुष के जयंति समारोह में शामिल होने का मौका मिला है। उन्हें नमन कर मैं स्वयं को भाग्यशाली समझ रहा हूँ ।
आज मुझे महाकवि के विभिन्न रुपों के संबंध में जानकारी प्राप्त हुई । यह बातें अनुमंडल क्षेत्र के नवानी गांव स्थित कृषि कार्यालय में आयोजित महाकवि पं. लालदास जयंती सह एकल काव्य पाठ एवं एकल गायन समारोह का उद्घाटन करते हुए मुख्य अतिथि के रुप में शामिल झंझारपुर के एसडीएम शैलेश कुमार चौधरी ने कही।
उन्होंने वक्ताओं की मांग का जबाव देते हुए कहा कि महाकवि की जयंती समारोह को राजकीय समारोह का दर्जा दिलाने के लिए वे अपनी ओर से सकारात्मक प्रयास करेंगे। ग्राम निर्माण परिषद, खड़ौआ द्वारा आयोजित इस समारोह का उद्घाटन एसडीएम श्री चौधरी, थानाध्यक्ष जितेंद्र सहनी, प्रो.शुभकुमार बरनवाल, श्रीमती कुमकुम झा, डॉ.जयानंद मिश्र, डॉ.महेंद्र नारायण राम, डॉ अनिल ठाकुर, डॉ नरेश झा, अनुप कश्यप,भागिरथ दास,डॉ.संजीव शमा एवं अजय कुमार दास द्वारा संयुक्त रुप से दीप प्रज्वलित कर किया गया।
जबकि समरोह की अध्यक्षता पूर्व प्रखंड प्रमुख अनुप कश्यप एवं संचालन साहित्यकार कवि डॉ.संजीव शमा द्वारा किया गया। समारोह का प्रारंभ आकाशवाणी गायिका कुमकुम झा द्वारा प्रस्तुत महाकवि लालदास की गौसाउनी गीत रचना जय जय कमल निवासिनी कमले कमल मुखी श्री करूणे के गायन से हुआ। समारोह को संबोधित करते हुए विशिष्ट अतिथि सह विद्वान वक्ता डॉ. महेंद्र नारायण राम ने महाकवि की प्रकाशित एवं अप्रकाशित रचनाओं पर प्रकाश डालते हुए बताया कि उनकी रचना आज अमरत्व को प्राप्त कर चुकी है। उनकी कृति मिथिला का धरोहर बन चुका है।
डॉ.जयानन्द मिश्र ने बताया कि महाकवि पं. लालदास रचित रमेश्वर चरित मिथिला रामायण हो या अन्य रचनायें हम लोगों को उनकी अप्रकाशित रचनाओं को प्रकाशित कर नई पीढ़ी के सामने लाना ही इस महा आत्मा को सच्ची श्रद्धांजली देना होगा। समारोह में डॉ. नरेश झा, पत्रकार रतन रवि, डॉ अनिल ठाकुर ने महाकवि के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर विस्तार से प्रकाश डाला। कार्यक्रम में एकल काव्य पाठ के लिए मधुबनी से पधारे सुप्रसिद्ध कवि डॉ. शुभ कुमार वर्णवाल ने अपने काव्य पाठ की शुरुआत महाकवि के नाम अक्षर से रचित रचना से किया ।
इसके पश्चात उन्होंने एक से बढ़कर एक कई रचनाओं का सस्वर पाठ कर श्रोतावृन्द को आनंदित किया। जयंती समारोह में आकाशवाणी की लोक एवं सुगम संगीत की गायिका कुमकुम झा ने महाकवि पं.लालदास रचित भगवती गीत, महेशवानी व नचारी को सुंदर स्वर में पिरो कर मनभावन प्रस्तुति दी। इस मौके पर समारोह में पधारे सभी अतिथियों को परिषद द्वारा अंगवस्त्र से सम्मानित किया गया ।
समारोह के व्यवस्थापक अजय कुमार दास पिंटू ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कार्यक्रम में भाग लेने वाले सभी अतिथियों एवं उपस्थित ग्रामीणों के प्रति आभार व्यक्त किया । समारोह में पूर्व प्रखंड प्रमुख अनुप कश्यप, ग्राम निर्माण परिषद, खड़ौआ के महामंत्री भागीरथ दास, साहित्यकार कवि डॉ.संजीव शमा, अजय कुमार दास, श्याम मोहन कर्ण, मलयनाथ मंडन, मो.सादुल्ला, मिहिर कुमार दास, अमरकान्त लाल, राजेन्द्र कुमार दास, गीतकार शंभु सौरभ, जितेन्द्र कुमार दास, बाबूजी साह, नवानी पंचायत मुखिया दुर्गा देवी, पिपरोलिया पंचायत की पूर्व मुखिया कल्पना दास, डॉ कन्हैया झा, पं शिव कुमार मिश्र, भागीरथ ठाकुर, शिक्षक अजय आनंद आदि सैकड़ों ग्रामीण उपस्थित थे ।