इटावा (डॉ एस.बी.एस. चौहान) : यमुना-चंबल – क्वारी-सिंध-पहूज आदि नदियों के किनारे बसे गांव इस समय भारी मुसीबत की बेड़ियों में जकड़े हुए हैं।
मध्य प्रदेश सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार के प्रशासनिक अधिकारी पीड़ित ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने से लेकर उनके खाने-पीने और स्वास्थ्य सेवाओं को मुहैया कराने में बारीकी से नजर रख सेवा में जुटे हुए हैं। इस मामले में सर्वाधिक सहयोग पुलिस प्रशासन कर रहा है।
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बता दें इस समय नदियों के तराई वाले इलाकों में बाढ़ का प्रकोप अपनी चरम सीमा पर है गांव से गांव के भू-मार्गीय संबंध एक दूसरे से कट चुके हैं। ऐसे स्थानों पर पुलिस प्रशासन के जवान डोंगी,अग्निवोट, व तैराकों की मदद से फंसे हुए लोगों को निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा रहे हैं। किन्ही-किन्हीं स्थानों पर तो ग्रामीण अपना घर छोड़ने पर तैयार नहीं हो रहे हैं लेकिन फिर भी संबंधित उप जिलाधिकारी संबंधित थानाध्यक्ष और पुलिस प्रशासन के अधिकारी समझाने बुझाने में और उन्हें सुरक्षित स्थान पर ले जाने के लिए दिन-रात जुटे हुए हैं।
कुछ ऐसे स्थान जहां पर बाढ़ पीड़ित तो हैं लेकिन वहां पर प्रशासन कोई खास तवज्जो इसलिए नहीं दे रहा है कि वहां की जनता भू मार्ग से आपातकालीन सेवा के तहत ग्रामीणों को निकालने में कामयाब होगा इसलिए खासकर उन तराई वाले इलाकों में जो इस समय पानी से घिरे हुए हैं या गिरने की स्थिति में है वहां पर प्रशासन पूर्ण रूप से अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाता हुआ दिखाई दे रहा है/लोगों की सुरक्षा में मुस्तैद है। कुछ ग्रामीणों ने रुंदे हुए गले से बताया कि हमें तो खाने के लिए कोटे से राशन बढ़ा हुआ मिल जाएगा प्रशासनिक अधिकारियों के चलते उससे भरण-पोषण हो भी सकता है लेकिन पशुओं को क्या होगा 1-1 काश्तकार के पास दर्जनों पशु हैं उनके लिए चारे का इंतजाम कहां से होगा? यह सोचनीय व्यवस्था है। संबंधित उप जिलाधिकारियों ने पीड़ित लोगों को आश्वस्त किया है की सरकार आप लोगों के रहने खाने-पीने और चिकित्सा सुविधा जैसी व्यवस्था को बदस्तूर निभाएगी कहीं किसी को परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। जो भी संभव मदद होगी की जाएगी।