सौरभ शेखर श्रीवास्तव की स्पेशल रिपोर्ट : राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2021 समारोह 5 सितंबर 2021 को आयोजित किया जाएगा। इस दिन इस पुरस्कार के लिए देशभर से चयनित 44 शिक्षकों को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा सम्मानित किया जाएगा जिनमें बिहार से चयनित 2 शिक्षक भी शामिल हैं।
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जी हां राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2021 के लिए बिहार से नामित छह शिक्षकों में मधुबनी के राजकीय मध्य विद्यालय रांटी की शिक्षिका चंदना दत्त ने बाजी मार ली है। इन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार मिलने की जानकारी केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी कर दी गई है।
मिथिलांचल वासियों समेत चंदना के शुभचिंतकों में हर्ष है। मिशन टू करोड़ चित्रांश अंतरराष्ट्रीय के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेंद्र कर्ण एवं अंतर्राष्ट्रीय संयोजक अनिल कर्ण ने चंदना दत्त को बधाई दी है।
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मधुबनी जिले के रांटी निवासी सुनील कुमार दत्त की पत्नी और प्रसिद्ध मिथिला पेंटिंग कलाकार विमला दत्त की बहू चंदना दत्त बचपन से ही मेधावी रही है। शैक्षणिक और सामाजिक क्षेत्रों में ये अपना परचम लहराती रही है। अररिया जिले के अंग्रजी के प्राध्यापक डाॅ. नित्यानंद दास की पुत्री चंदना ने मैथिली में स्नातकोत्तर की उपाधि ली है। लेकिन हिन्दी और अंग्रेजी में इनकी जबरदस्त पकड़ है और उन्हाेंने हाईस्कूल के लिए अंग्रेजी शिक्षिका के लिए ही अपना आवेदन दे रखा है।
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बता दें कि चंदना दत्ता पिछले 17 सालों से शिक्षिका के रूप में काम कर रही हैं. रांटी गांव निवासी सुनील कुमार सरोज की पत्नी चंदना का नियोजन 2005 में शिक्षा मित्र के रूप में हुआ था. चंदना ने अपने शुरुआती दिनों में देखा कि अल्पसंख्य समुदाय के लोग बेटियों को पढ़ाई के लिए विद्यालय भेजने में काफी आनाकानी करते थे. तब से चंदना ने घर-घर जाकर उन्हें समझाया और बेटियों को विद्यालय भेजने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने छात्राओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी उठाई. उसका सार्थक नतीजा है कि आज विद्यालय में अल्पसंख्यक समुदाय के बच्चे काफी ज्यादा पढ़ रहे हैं.
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बता दें कि चंदना दत्ता को 2014 में डॉ. माहेश्वरी सिंह महेश पुरस्कार, 2016 में रक्तदान सृजन सेवा सम्मान, 2017 में पं. प्रताप नारायण मिश्र युवा सम्मान और 2020 में डॉ. एस राधाकृष्णन सम्मान इत्यादि मिल चुका है. चंदना के मैथिली एवं हिन्दी में विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में कथा, आलेख, शोध-पत्र, कविता इत्यादि प्रकाशित होती रही है. गंगास्नान नाम से मैथिली में कथा संग्रह और रक्तदान पर भी बाल कथा उनकी प्रकाशित हो चुकी है.
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चंदना दत्ता के मुताबिक ये सम्मान उनके साथ-साथ उनको अब तक ज्ञान देने वाले सभी गुरुजन, बच्चे, शिक्षा विभाग से जुड़ा विद्यालय परिवार और परिजन को जाता है. ये सम्मान वो उन सभी को समर्पित करती हैं.