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खेमों में बांटने वाले साहित्यों के भ्रम से युवाओं को बचाएं साहित्यकार : मुख्यमंत्री

राज प्रताप सिंह
लखनऊ ब्यूरो।मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने कहा है कि बहुत से ऐसे लोग हैं जो साहित्य को क्षेत्रीयता, जातीयता एवं अलग-अलग खेमों में बांटने का प्रयास करते हैं। इससे युवाओं के सामने भ्रम की स्थिति उत्पन्न होती है। ऐसे में हमारे साहित्यकारों की जिम्मेदारी बनती है कि वह ऐसी स्थिति समाज में बनने न दें। उ‌न्होंने साहित्यकारों से अपील की कि अपने चिंतन-मनन और साहित्य साधना से आदर्श स्थापित करें और नई दिशा दें।

श्री योगी सोमवार को हिन्दी संस्थान के 43वें स्थापना दिवस पर आयोजित पुरस्कार वितरण एवं अभिनंदन समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि वास्तव में हमारी लेखनी समाज के उन ज्वलंत समस्याओं को एक रचनात्मक दिशा देने के लिए होनी चाहिए, जिसमें व्यापक लोक कल्याण और राष्ट्रीय कल्याण का भाव निहित हो। इसे ध्यान में रखकर जब लेखनी चलेगी तो वह समाज में एक नए मार्गदर्शक के रूप में हर स्तर पर स्वीकार्य होगी। उ‌न्होंने कहा कि जहां भी हम अपनी लेखनी को किसी खेमे बांधने का प्रयास करेंगे, उससे न केवल साहित्यिक साधना भंग होगी बल्कि इसके माध्यम से समाज और राष्ट्र की भी अपूर्णीय क्षति होगी। समाज दिग्भ्रमित भी होगा और दिग्भ्रमित समाज कभी अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सकता। कहा, सभी साहित्यकारों की जिम्मेदारी बनती है कि वे ऐसा भ्रम न पैदा न होने दें अपने चिंतन-मनन और साहित्य साधना के माध्यम से उन लोगों के सामने उन आदर्शों, मूल्यों ,जीवन मूल्यों की स्थापना का दायित्व स्वयं निभायें जिससे लोग समाज और राष्ट्र के प्रति अपने को समर्पित कर सकें।

श्री योगी ने साहित्यकारों से कहा कि वास्तव में आपकी जो साहित्यिक साधना है वह अमूल्य है। यह किसी पुरस्कार की मोहताज नहीं है लेकिन जब हिन्दी संस्थान जैसा कोई साहित्यिक मंच आपकी साधना को महत्व देता है तो इससे इन जैसे संस्थानों का भी गौरव बढ़ता है। साथ ही इस क्षेत्र में कार्य करने वाले लोगों को भी नई प्रेरणा प्राप्त होती है। साहित्य के बारे में कहा जाता है कि यह समाज का दर्पण होता है। जिस प्रकार की रचना होगी समाज के लिए उसी प्रकार की दिशा तय होती है। अभी हम सबके लिए एक चुनौतीपूर्ण समय है। विशेषकर साहित्य के क्षेत्र में कार्य करने के लिए लोगों के लिए।
ये साहित्यकार हुए सम्मानित :
श्री योगी ने समारोह में वर्ष 2018 का प्रतिष्ठित साहित्यिक सम्मान भारत-भारती पटना की साहित्यकार-लेखिका डॉ. ऊषा किरण खान, पटियाला के डॉ. मनमोहन सहगल को लोहिया साहित्य सम्मान, वाराणसी के डॉ. बदरीनाथ कपूर को हिंदी गौरव सम्मान, भागलपुर के श्रीभगवान सिंह को महात्मा गांधी साहित्य सम्मान, दिल्ली की डॉ. कमल कुमार को अवंती बाई साहित्य सम्मान और लखनऊ के डॉ. ओमप्रकाश पांडेय को पं. दीनदयाल उपाध्याय साहित्य सम्मान, पत्रिका कला वसुधा को सरस्वती सम्मान तथा इंफाल के मणिपुर हिंदी परिषद को राजर्षि पुरुषोत्तमदास टंडन और लखनऊ के प्रो. रमेश चन्द्र दीक्षित को पत्रकारिता भूषण सम्मान से सम्मानित किया।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने ‘पं. दीनदयाल उपाध्याय साहित्य सम्मान से सम्मानित डा. ओम प्रकाश पाण्डेय द्वारा रचित पुस्तक ‘सांस्कृतिक विचार की अविराम भारतीय यात्रा का विमोचन भी किया। कार्यक्रम में हिन्दी गौरव सम्मान से सम्मानित डा. बदरीनाथ कपूर अस्वस्थ होने के कारण पुरस्कार प्राप्त करने नहीं आ सके। समारोह को विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित, जलशक्ति मंत्री डा. महेन्द्र सिंह, हिन्दी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष डा. सदानंद प्रसाद गुप्त तथा निदेशक श्रीकान्त मिश्र आदि ने भी सम्बोधित किया।

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