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बिहार :: ट्रेड यूनियनों के संयुक्त आह्वान पर दो दिवसीय आम हड़ताल का पहला दिन, पटना की सड़कों पर उतरे लाखों मजदूर

पटना (संजय कुमार मुनचुन) : ट्रेड यूनियनों के संयुक्त आह्वान पर दो दिवसीय आम हड़ताल के पहले दिन आज राज्य में लाखों की तादाद में स्कीम वर्करों के विभिन्न तबके, ग्रामीण खेतिहर मजदूर, निर्माण मजदूर, बैंक-बीमा के कर्मचारी सड़क पर उतरे और मजदूर व कर्मचारी विरोधी तथा कारपोरेटपरस्त मोदी सरकार को ध्वस्त करने का संकल्प लिया. 

राजधानी पटना में ऐक्टू व उससे संबद्ध यूनियनों के नेतृत्व में हजारों की तादाद में मजदूरों का विभिन्न तबका मोदी हटाओ-देश बचाओ नारे के साथ सड़क पर उतरा और राजधानी के विभिन्न इलाकों में मार्च किया. आम हड़ताल की प्रमुख मांगों में श्रम कानूनों में मालिक पक्षीय सुधारों को वापस लेने, सभी के लिए न्यूनतम वेतन 18 हजार का प्रावधान करने, समान काम के लिए समान वेतन लागू करने, पुरानी पेंशन नीति बहाल करने, महंगाई पर रोक लगाने सहित 12 सूत्री मांगें शामिल हैं.

हड़ताली मजदूरों का पहला जत्था ऐक्टू के बिहार राज्य सचिव रणविजय कुमार के नेतृत्व में कंकड़बाग से निकला जिसमें सैकड़ों की तादाद में निर्माण मजदूर शामिल थे. कंकड़बाग, रेलवे स्टेशन होते हुए यह जत्था 11 बजे डाकबंगला पहुंचा और प्रधानमंत्री मोदी के दर्जनों पुतले जलाए. फिर यह जत्था मार्च करते हुए रेडियो स्टेशन की ओर बढ़ गया.

रेलवे स्टेशन से बिहार राज्य विद्यालय रसोइया संघ की बिहार राज्य अध्यक्ष सरोज चौबे के नेतृत्व में हड़ताली रसोइयों ने मार्च निकाला. विदित हो कि आशा कर्मियों के बाद अब रसोइया संगठन विगत 7 जनवरी से हड़ताल पर हैं. रसोइया संगठन भी 18 हजार रु. मासिक मानदेय की मांग कर रही हैं. अध्यक्ष सरोज चौबे ने कहा कि हड़ताली रसोइयों की मांगों को पूरा करने की बजाए सरकार दमन की नीति अपना रही है. इसलिए आज पूरे बिहार में लाखों की संख्या में विद्यालय रसोइया हड़ताल में शामिल हो रही हैं.

बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ-गोप गुट की राज्य अध्यक्ष शशि यादव के नेतृत्व में गांधी मैदान से सैकड़ों आशा कार्यकर्ताओं का मार्च आरंभ हुआ. मार्च के दौरान आशा कार्यकर्ताओं ने आवाज बुलंद की – 1 हजार में दम नहीं, 18 हजार से कम नहीं. विदित हो कि विगत 1 दिसंबर से आशाकर्मियों की बिहार में लंबी हड़ताल चल रही थी. हड़ताल के दबाव में आखिरकार सरकार को झुकना पड़ा और उनके लिए मानदेय लागू करना पड़ा. शशि यादव ने कहा कि 18 हजार रु. मानेदय के लिए हमारी लड़ाई जारी रहेगी और हमें उम्मीद है कि हम इस लड़ाई को अवश्य जीतेंगे.

अखिल भारतीय खेत व ग्रामीण मजदूर सभा के राष्ट्रीय महासचिव धीरेन्द्र झा, ऐक्टू के महासचिव आर एन ठाकुर, प्रेमचंद सिन्हा, जितेन्द्र कुमार के नेतृत्व में सैंकड़ों की तादाद में मजदूरों व कर्मचारियों ने हड़ताली चौराहे से डाकबंगला की ओर मार्च किया. बिहार राज्य अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ-गोपगुट के सम्मानित अध्यक्ष रामबली प्रसाद के नेतृत्व में चतुर्थवर्गीय कर्मचारियों ने जुलूस निकाला. इन यूनियनों के अलावा शिवनाथ प्रसाद के नेतृत्व में बैंकोस कर्मचारी यूनियन, कृष्णनंदन सिंह व केडी विद्यार्थी के नेतृत्व में बिहार चिकित्सा जन स्वास्थ्य कर्मचारी संघ-गोप गुट, आशीष कुमार के नेतृत्व में बिहार राज्य कार्यपालक सहायक सेवा संघ आदि यूनियनों के कर्मचारियों ने भी आज की हड़ताल में हिस्सा लिया. राजधानी पटना के फुलवारी में सुबह से सुधा डेयरी के मजदूरों ने जाम लगा दिया. ऐक्टू से संबद्ध यूनियन ने नालंदा बिस्कुट कंपनी में हड़ताल करवाई. एम्स के कर्मचारी भी हड़ताल पर रहे.

अन्य ट्रेड यूनियनों के नेतृत्व में भी बड़ी संख्या में मजदूर-कर्मचारी डाकबंगला चौराहा पहुंचे और उसके बाद डाकबंगला का घंटो घेराव कर लिया. सभी ट्रेड यूनियन व स्कीम वर्कर अपने-अपने बैनर के साथ अपनी आवाज बुलंद कर रहे थे. इनमें महिला वर्करों की संख्या ज्यादा थी.

चौराहे पर सभा को संबोधित करते हुए खेग्रामस के महासचिव धीरेन्द्र झा ने कहा कि मोदी-नीतीश सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ बिहार में आज 50 लाख मजदूर सड़क पर उतरे हैं. यह एक ऐतिहासिक हड़ताल है. मोदी सरकार की उलटी गिनती शुरू हो गई है. सभा को ऐक्टू के राज्य सचिव रणविजय कुमार ने भी संबोधित किया. उन्होंने 9 जनवरी को वाम दलों के आह्वान पर आयोजित बिहार बंद को ऐतिहासिक बनाने की अपील की.

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