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जल-जीवन-हरियाली अभियान की प्रगति की हुई समीक्षा

दरभंगा, विजय भारती :- समाहरणालय अवस्थित बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर सभागार में जिलाधिकारी दरभंगा राजीव रौशन की अध्यक्षता में जल-जीवन-हरियाली के 11 अनुषंगी योजनाओं के क्रियान्वयन की स्थिति एवं लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान फेज-2 के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में ठोस-तरल कचरा प्रबंधन के अंतर्गत जल शुद्धीकरण यूनिट के निर्माण कार्य की हुई समीक्षा।
           बैठक में उप विकास आयुक्त तनय सुल्तानिया द्वारा बताया गया कि लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान फेज-2 के अंतर्गत जिले के चयनित 50 ग्राम पंचायतों में ठोस तरल-कचरा प्रबंधन योजना के अंतर्गत जल शुद्धीकरण यूनिट का निर्माण जून तक कराया जाना है, लेकिन अभी तक बहादुरपुर, सिंहवाड़ा, मनीगाछी, हायाघाट, बिरौल, दरभंगा सदर एवं गौड़ाबौराम अंचल के 24 यूनिटों में कार्य प्रारंभ नहीं हो सका है।
संबंधित अंचलाधिकारी द्वारा वहां यूनिट संस्थापित करने हेतु चिन्हित सरकारी जमीन में कहीं अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं दी गई है, तो कहीं जमीन विवादित चिन्हित की गई है।
          जिलाधिकारी ने सभी संबंधित अंचलाधिकारी को तीन दिनों का समय देते हुए जल शुद्धिकरण यूनिट के लिए चिन्हित जमीनों का एनओसी दे देने या जमीन विवादित है तो कहीं अन्यत्र चिन्हित करने के निर्देश दिए।
        उन्होंने कहा कि शनिवार तक यदि जल शुद्धिकरण यूनिट की जमीन से संबंधित मामले का निराकरण नहीं किया गया तो संबंधित अंचलाधिकारी राजस्व कर्मचारी के साथ जिला मुख्यालय में तलब होंगे।
उन्होंने कहा कि हर हाल में शनिवार तक सभी 50 यूनिट में कार्य शुरू हो जाना चाहिए।
           जल-जीवन-हरियाली अभियान के 11 अनुषंगी योजनाओं की समीक्षा के दौरान अतिक्रमित जल निकायों की समीक्षा की गई। समीक्षा के दौरान पाया गया कि सबसे अधिक अतिक्रमित 37 जल निकाय मनीगाछी में है इसके उपरांत सिंहवाड़ा में 19, तारडीह में 10, बहादुरपुर में 7, जाले में 7, बहेड़ी में 6, अलीनगर में 4, कुशेश्वरस्थान पूर्वी में 1,कुशेश्वरस्थान पश्चिमी में 1 एवं घनश्यामपुर में 1 है।
      जिलाधिकारी ने 28 अप्रैल तक इन सभी निकायों को अतिक्रमण मुक्त करवाने का अल्टीमेटम संबंधित अंचलाधिकारियों को दिया। उन्होंने कहा कि यदि कोई विस्थापित व्यक्ति वास भूमि रहित है तो उसके लिए अभियान बसेरा के अंतर्गत घर बनाने के लिए भूमि क्रय कर दिया जाएगा या उपलब्ध सरकारी भूमि से आवास निर्माण हेतु बंदोबस्ती की जाएगी। लेकिन हर हाल में 28 अप्रैल तक सभी अतिक्रमित जल निकाय अतिक्रमण मुक्त होने चाहिए। अन्यथा संबंधित अंचलाधिकारी के विरुद्ध प्रपत्र- (क) गठित करने की कार्रवाई की जाएगी।
      उप विकास आयुक्त ने बताया कि नए तालाब निर्माण के संबंध में बताया गया कि05 एकड़ से अधिक वाले 174 तालाब बनाए जाने हैं जिनमें से 24 पर काम प्रारंभ होने की जानकारी दी गयी है।
बैठक में बताया गया कि केंद्र सरकार की योजना अमृत सरोवर के अंतर्गत जिले में 75 नए सरोवर का निर्माण करवाया जाना है।


         जिलाधिकारी ने कहा कि जहां बड़े पैमाने पर सरकारी जमीन उपलब्ध है वहां 1 एकड़ से 5 एकड़ तक के कई तालाब एक साथ बनवाया जाये। साथ ही उस तालाब से निकलने वाली मिट्टी का उपयोग सड़क ऊंचीकरण तथा नए भवन निर्माण स्थल का मिट्टी करण करने में किया जाये।
       उप विकास आयुक्त ने बताया कि जिले के 243 पोखर का जीर्णोद्धार कराया जा रहा है। लेकिन अभी भी 2700 से 2800 पोखर का जीर्णोद्धार कराया जा सकता है, इसके लिए 15वें  वित्त आयोग की राशि का उपयोग किया जा सकता है।
     जिलाधिकारी ने कहा कि तालाब का निर्माण आर्थिक उद्देश्य को देखते हुए किया जाये, जिनमें मछली पालन, मखाना उत्पादन को शामिल किया जाए।
     साथ ही नवनिर्मित पोखर के चारो और इस प्रकार वृक्षारोपण कराया जाए कि पेड़ की छाया तालाब के पानी पर न पड़े, इससे मछली पालन में परेशानी होती है।
      सार्वजनिक कुओं के संबंध में बताया गया कि उनके जीर्णोद्धार अब पंचायती राज विभाग से कराया जाएगा। इसके लिए 15 वें वित्त आयोग के टाइड फंड का उपयोग किया जाएगा। एक कुआं जीर्णोद्धार के लिए 62 हजार 400 रुपये का मॉडल एस्टीमेट बनाया गया है। 74 हजार 480 रुपये तक के प्राक्कलन पर  ग्राम पंचायत स्वत: कार्य करा सकती है।
        जिलाधिकारी ने कहा कि अप्रैल से जून तक के बीच कुंओं एवं पोखर का जीर्णोद्धार कराने का सबसे अच्छा समय होता है। इसके साथ ही सार्वजनिक चापाकलों के साथ सोखता का निर्माण करावें। जिला पंचायत राज पदाधिकारी को उनके 55 अभियंताओं के माध्यम से कुओं का जीर्णोद्धार कार्य करवाने का निर्देश दिया गया। बैठक में बताया कि जल -जीवन- हरियाली पोर्टल पर जिले में 34367 चापाकल बताया जा रहा है, इन्हें सत्यापित करते हुए इनके बगल में सोखता का निर्माण कराया जा सकता है।
    जिलाधिकारी ने मनरेगा के अंतर्गत इनक जीर्णोद्धार करवाने का निर्देश दिया।
      बैठक में बताया गया कि जिले में अबतक 23 चेक डैम बनाया गया है, जिलाधिकारी ने नदियों के पुरानी धार के समीप अनेक चेक डैम बनवा कर संचित जल का उपयोग कृषि सिंचाई में करने का निर्देश मनरेगा के कार्यपालक अभियंता को दिया।
       खेत पोखर निर्माण योजना के अंतर्गत जिले में 489 नए खेत पोखर का निर्माण रैयतों की जमीन पर करवाया गया है। जिलाधिकारी ने प्रत्येक प्रखंड में 50-50 नए खेत पोखर का निर्माण करवाने का निर्देश दिया।
     वर्षा जल संचयन योजना के अंतर्गत वैसे सभी विद्यालय जिनमें चाहरदीवारी का निर्माण कराया जा रहा है तथा सरकारी भवनों में वर्षा जल संचयन पिट बनवाने के निर्देश दिए।
         वृक्षारोपण के संबंध में बताया गया कि प्रत्येक पंचायत में 10-10 यूनिट वृक्षारोपण कराया जाना है. एक यूनिट में 400 पौधे रहते हैं। इस प्रकार जिले में 12 लाख पौधारोपण कराया जाना है। जिलाधिकारी द्वारा इसकी पूर्व तैयारी कर लेने का निर्देश दिया गया। पहले से पौधों के लिए गड्ढा तैयार कर लेने तथा पर्याप्त पौधा की व्यवस्था रखने के निर्देश दिए गए।
           खेत पोखर निर्माण के लिए किसानों के साथ बैठक कर उन्हें पोखर निर्माण हेतु प्रोत्साहित करने तथा पोखर का निर्माण मखाना उत्पादन के उद्देश्य से कराने का निर्देश दिया गया, ताकि किसानों की आय में वृद्धि के साथ-साथ जिले में मखाना उत्पादन को भी बढ़ाया जा सके।
      बैठक में अपर समाहर्ता विभूति रंजन चौधरी, नगर आयुक्त अखिलेश प्रसाद सिंह, उप निदेशक जन संपर्क नागेंद्र कुमार गुप्ता एवं संबंधित पदाधिकारी गण उपस्थित थे।

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