मधुबनी : कोरोना संक्रमण के बढ़ते आंकड़ों के बीच राज्य सरकार लगातार स्वास्थ्य सुविधाओं में बढ़ोतरी कर रही है। इसी क्रम में कोविड 19 के चिकित्सकीय प्रबंधन के लिए राज्य स्वास्थ्य समिति को भारत सरकार से प्राप्त 4 वेंटिलेटर जिले के जीएनएम नर्सिंग कॉलेज रामपट्टी के डीसीएचसी (डेडीकेटेड कोविड हेल्थ सेंटर) में शनिवार को भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड के अभियंताओं द्वारा स्थापित किए गए । साथ ही 9 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर मशीन भी लगाई गई है। यह मशीन सिलेंडर में ऑक्सीजन खत्म होने की स्थिति में स्वयं से कृत्रिम ऑक्सीजन का निर्माण कर मरीजों को ऑक्सीजन प्रदान करेगी. जिनसे गंभीर कोरोना संक्रमित मरीजों को सांस लेने में परेशानी नहीं होगी।
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सिविल सर्जन डॉ. सुनील कुमार झा ने बताया जिले में कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज कोविड केयर सेंटर में किया जाता है तथा मरीज के गंभीर होने की स्थिति में जिले में स्थापित डीसीएचसी में रेफर कर दिया जाता है, जहां विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा उनका इलाज किया जाता है। परंतु वेंटिलेटर की सुविधा डीसीएससी में नहीं रहने के कारण वेंटिलेटर के अभाव में अन्य जिले के मेडिकल कॉलेज में रेफर कर दिया जाता है। परंतु अब वेंटिलेटर लग जाने से ऐसे मरीजों का बेहतर प्रबंधन जिले में ही किया जा सकेगा।
विशेषज्ञ चिकित्सकों की गई है प्रतिनियुक्ति:
डॉ. सुनील कुमार झा ने बताया डीसीएचसी सेंटर में विशेषज्ञ चिकित्सकों की प्रतिनियुक्ति कर दी गई है तथा दो चिकित्सक एवं चार एएनएम को दरभंगा मेडिकल कॉलेज में प्रशिक्षण के लिए भेजा जाएगा। प्रशिक्षण के उपरांत इन सभी चिकित्सा कर्मियों को डीसीएचसी केंद्र में ही प्रतिनियुक्ति की जाएगी।
कोरोना के गंभीर मरीजों के लिए रामबाण :
डॉ. सुनील कुमार झा ने बताया वेंटिलेटर कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए रामबाण की तरह हैं। वेंटिलेटर मशीनों स्थापित हो जाने से कोरोना संक्रमितों के लिए यह काफी उपयोगी सिद्ध होगा। डॉ. झा ने बताया कोरोना संक्रमण से प्रभावित व्यक्तियों के रक्त में ऑक्सीजन की एक नियत मात्रा कायम रखा जाना मरीजों के जीवन के लिए अति आवश्यक होता है। गंभीर मरीजों में स्वयं बाहरी माध्यम से ऑक्सीजन को ग्रहण करने की क्षमता नहीं रह जाती है, जिसमें एकमात्र सहारा वेंटिलेटर रह जाता है। जो ऐसे मरीजों को कृत्रिम श्वास प्रदान करता है तथा मरीज लाइफ सपोर्ट सिस्टम के माध्यम से आवश्यक ऑक्सीजन प्राप्त कर जिंदगी जीने की जंग को जीतने की दिशा में अग्रसर होता है।
कितने तरह के होते हैं वेंटिलेटर:
वेंटिलेटर मुख्य रूप से दो तरह के होते हैं। पहला मेकेनिकल वेंटिलेशन और दूसरा नॉन इनवेसिव वेंटिलेशन। मेकेनिकल वेंटिलेटर के ट्यूब को मरीज के सांस नली से जोड़ दिया जाता है। जो फेफड़े तक ऑक्सीजन ले जाता है। वेंटिलेटर मरीज के शरीर से कार्बन डाइ ऑक्साइड को बाहर खींचता है और ऑक्सीजन को अंदर भेजता है। दूसरे प्रकार के वेंटिलेटर को सांस नली से नहीं जोड़ा जाता है, बल्कि मुंह और नाक को कवर करते हुए एक मास्क लागाया जाता है जिसके जरिए इस प्रक्रिया को अंजाम दिया जाता है।
कोरोना मरीजों के लिए क्यों जरूरी है वेंटिलेटर:
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, कोविड-19 से संक्रमित 80% मरीज अस्पताल गए बिना ठीक हो जाते हैं। लेकिन छह में से एक मरीज की स्थिति गंभीर हो जाती है और उसे सांस लेने में कठिनाई होने लगती है। ऐसे मरीजों में वायरस फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है। फेफड़ों में पानी भर जाता है। जिससे सांस लेना बहुत मुश्किल हो जाता है। शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने लगती है। इसलिए वेंटिलेटर की आवश्यकता होती है। इसके जरिए मरीज के शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा को समान्य बनाया जाता है।