डेस्क : अब बिहार में नया घोटाला सामने आया है। जीएसटी (GST) घोटाला। 800 करोड़ का फर्जीवाड़ा हुआ है। फर्जी कागजात दिखाकर जीएसटी में करीब 800 करोड़ रुपये का फर्जीवाड़ा किया गया है। जीएसटी इंटेलिजेंस ने दिल्ली, छपरा एवं कोलकाता में एक साथ छापामारी कर इस घोटाले का पर्दाफाश किया है।
गलत इन्वॉयस दिखाकर इन फर्जी कंपनियों ने 144 करोड़ का इनपुट टैक्स क्रेडिट भी ले लिया है। माल की सप्लाई केवल कागज पर हुई है और पैसों का गोलमाल हुआ है। इस मामले में जांच के साथ ही मालिकों की भी गिरफ्तारी के लिए कवायद तेज हो गई है।
छपरा से दिल्ली तक फैला है जाल
छपरा की दो फर्जी कंपनियां-महावीर ट्रेडर्स और भरितया उद्योग से यह मामला शुरू होता है। छपरा के महावीर उद्योग ने यह दर्शाया कि उसने दिल्ली की जेनरल ट्रेडिंग को 200 करोड़ का स्क्रैप बेचा है। वहीं, छपरा के भरितया उद्योग ने दिल्ली में भी इसी नाम की कंपनी भरितया उद्योग को 100 करोड़ का स्क्रैप बेचा हुआ दिखाया। दिल्ली की इन दोनों कंपनियों ने फिर कोलकाता की कंपनी सेंट्रलाइज मर्चेंट को कुल करीब 300 करोड़ का स्क्रैप बेचा जाना अपने रिकॉर्ड में दिखाया।
ई-वे बिल पर दिखाई गई माल की ढुलाई
सेंट्रलाइज मर्चेंट ने इस स्क्रैप को पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, छत्तीसगढ़ एवं बिहार की कई कंपनियों को बेचा हुआ दिखाया। पिछले डेढ़ सालों में इसी प्रकार छपरा से कोलकाता तक पांच ट्रांजेक्शन दिखाए गए, जो कुल करीब 800 करोड़ के थे। लेकिन जांच में यह सारे ट्रांजेक्शन फर्जी निकले। माल की सप्लाई केवल कागज पर हुई। फर्जी इन्वॉयस निर्गत कराए गए और फर्जी ई-वे बिल पर माल की ढुलाई दिखाई गई। फर्जी इन्वॉयस के आधार पर 144 करोड़ रुपये का इनपुट टैक्स क्रेडिट भी ले लिया गया।
कोलकाता के हैं कंपनी मालिक
जीएसटी इंटेलिजेंस निदेशालय की पटना इकाई द्वारा की गई जांच के मुताबिक, छपरा की दोनों कंपनियों के मालिक, कोलकाता के निवासी निकले। उनके बैंक एकांउट भी कोलकाता के ही निकले। ई-वे बिल सिस्टम में स्क्रैप को जिन ट्रकों के द्वारा भेजा गया दिखाया गया, उन वाहनों के रजिस्ट्रेशन नंबर फर्जी पाए गए।
जीएसटी विभाग को जो पते दिए गए थे, उनमें से कहीं भी कोई व्यवसायिक गतिविधि नहीं पाई गई। निदेशालय सूत्रों ने बताया कि अभी जांच जारी है। जांच पूरी होने पर इन फर्जी कंपनियों के मालिकों की गिरफ्तारी की जाएगी।