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लोस चुनाव में हार को लेकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं को निराश होने की जरूरत नहीं – अखिलेश सिंह

संजय कुमार मुनचुन : लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद प्रदेश कांग्रेस चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह पहली बार मीडिया के सामने आए। उन्होंने हार के कारणों का जिक्र किया और कहा कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं व नेताओं को निराश होने की जरूरत नहीं है। जो फैसले आए हैं उसे हम स्वीकार करते हैं। अखिलेश ने कहा ऐसा नहीं है कि हम सिर्फ बिहार में हारे हैं पूरे देश भर में तमाम विपक्षी पार्टियों की हार हुई है। प्रदेश में हार की सबसे बड़ी वजह रही कि ऊपर से महागठबंधन तो बन गया मगर जमीनी स्तर पर

कार्यकर्ताओं का मेल नहीं हो सका। जहां तक कांग्रेस पार्टी की बात है हम 9 सीटों में 8 सीट हारे और एक सीट पर जीत हासिल कर सके। जिन जिन सीटों पर हमारी हार हुई है उसकी हम समीक्षा करेंगे और उनके कारणों को तलाशने की कोशिश करेंगे। अखिलेश ने सीधे तौर पर यह कबूल किया कि जो बातें उठाई है कि मुंगेर और पूर्णिया सीट हमारे आग्रह पर दिया गया। यह सच है कि दोनों सीटें हमारे कहने पर दी गई जिसमें प्रदेश अध्यक्ष की भी सहमति प्राप्त थी। मगर मैं अपने कार्यकर्ताओं को बता देना चाहता हूं कि पहले भी जब हमारे महागठबंधन के साथी मुंगेर में चुनाव लड़ते थे तो कभी

भी दो लाख से ऊपर उन्हें वोट प्राप्त नहीं हुए थे मगर इस बार तीन लाख से ऊपर वोट वहां के प्रत्याशी को मिले। वहीं दूसरी तरफ पूर्णिया सीट पर भी वही हाल रहा पिछली बार जहां हमें 75000 वोट मिले थे हम अपनी जमानत बचाने में भी कामयाब नहीं रहे थे वहीं इस बार सारे 3लाख 50 हज़ार वोट प्राप्त हुए। यह बात सच है कि हार के बाद कार्यकर्ताओं में निराशा होती है मगर हमारा इतिहास रहा है हमारे पूर्वजों ने ब्रिटिश हुकूमत के साथ भी संघर्ष किया। अभी तो राजनीतिक लड़ाई है हम उसे लड़ेंगे पूरे जी-जान से लड़ेंगे और आगे हमारी स्थिति बेहतर होगी हम इस बात का उम्मीद है। उन्होंने आगे कहा महागठबंधन में किसी प्रकार का कोई दरार नहीं है हम आगे भी मिलकर चुनाव लड़ेंगे और तमाम चुनौतियों का सामना करेंगे।

अखिलेश प्रसाद से जब यह पूछा गया कि मोतिहारी सीट पर उन्होंने ज्यादा समय दिया जहां से उनके पुत्र खड़े थे। इस पर उन्होंने कहा कि मैं अपने पुत्र के नाते नहीं बल्कि महा गठबंधन के घटक दल रालोसपा के उम्मीदवार के नाते वहां पर चुनाव प्रचार में ज्यादा समय देता रहा। वहीं जब उनसे यह सवाल पूछा गया कि नीतीश कुमार की एनडीए से बढ़ती दूरी क्या उन्हें कांग्रेस के करीब लाएगी। इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा यह तो आने वाले समय में तय होगा जब वह भाजपा से दूर होंगे तभी कांग्रेस से उनकी दोस्ती हो सकती है यह भविष्य के गर्भ में छुपा है। पार्टी के भीतर राजा से संबंध विच्छेद ओं को लेकर उठ रही आवाजों पर भी उन्होंने कहा यह आलाकमान का मामला इस पर प्रदेश नेतृत्व कुछ नहीं बोल सकती।

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