राज प्रताप सिंह(उत्तर -प्रदेश राज्य प्रमुख) सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले पर सभी पुनर्विचार याचिकाएं खारिज कर दी हैं। सुप्रीम कोर्ट में में कुल 18 याचिकाएं दाखिल हुई थीं। सीजेआई एस ए बोबड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने ये फैसला सुनाया। सर्वोच्च अदालत ने नौ नवंबर को अयोध्या मामले पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया था।
संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना खामिल थे।
संविधान पीठ के समक्ष चैंबर में सिर्फ उन पुनर्विचार याचिकाओं पर गौर किया गया जो इस विवाद से संबंधित चार मुकदमों में पक्षकार थे। न्यायालय में दायर 18 पुनर्विचार याचिकाओं में से नौ याचिकायें मूल पक्षकारों ने दायर की थीं जबकि शेष याचिकाएं तीसरे पक्ष ने दायर की थीं।
संविधान पीठ ने उन याचिकाओं पर विचार करने से इंकार कर दिया जो मूल वाद में पक्षकार नहीं थे। संविधान पीठ द्वारा इन पुनर्विचार याचिकाओं पर विचार से इंकार किए जाने की वजह से इन याचिकाओं पर खुले न्यायालय में सुनवाई का अनुरोध भी खारिज हो गया। पीठ में चीफ जस्टिस के अलावा जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस एसए नजीर और जस्टिस संजीव खन्ना शामिल थे। जस्टिस खन्ना को छोड़कर बाकी सदस्य मामले में फैसला देने वाली संविधान पीठ का हिस्सा थे। जस्टिस खन्ना को 17 नवंबर को सेवानिवृत्त हुए सीजेआई रंजन गोगोई की जगह शामिल किया गया है।
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एआईपीएलबी के जफरयाब जिलानी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा हमारी याचिका को खारिज किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। हम अभी नहीं कह सकते कि हमारा अगला कदम क्या होगा। हम अपने वरिष्ठ वकील राजीव धवन से सलाह मश्विरा करेंगे।
इन्होंने दायर की थीं पुनर्विचार याचिकाएं
मुस्लिम पक्ष की तरफ से ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईपीएलबी) और जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने भी याचिका डाली थी। मोहम्मद सिद्दीक, फारूख अहमद, मौलाना मुफ्ती हसबुल्लाह, मिस्बाद्दीन, हाजी महबूब अहमद, मौलाना महफूजुर्रहमान हाजी असद अहमद, अखिल भारत हिंदू महासभा, शिया सेंट्रल बोर्ड, डॉक्टर मोहम्मद अयूब, तहरीक फारुख ए इस्लाम, अब्दुल अनीस अंसारी, सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया ऑफ इंडिया दल चंद कपिल, अंबरीश कुमार व सम्राट प्रियदर्शी यूथ फाउंडेशन ऑफ इंडिया, इंडियन नेशनल लीग, प्रभात पटनायक सहित 40 नामचीन हस्तियों द्वारा सामूहिक रूप से पुनर्विचार याचिकाएं दायर की गई थीं।
स्व. हाशिम अंसारी के बेटे इकबाल अंसारी ने पुनर्विचार याचिका से दूरी बना ली थी। मुस्लिम समुदाय की सर्वोच्च संस्था ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के चेयरमैन मौलाना सैयद राबे हसनी नदवी की अध्यक्षता में कार्यकारिणी सदस्यों की बैठक बुलाई गई थी। इसमें इकबाल अंसारी को भी बुलाया गया था लेकिन वह नहीं पहुंचे।
बता दें कि पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से 2.77 एकड़ विवादित भूमि रामलला को देने का फैसला सुनाया था। साथ ही केंद्र को सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद निर्माण के लिए पांच एकड़ जमीन देने का निर्देश दिया था।