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सरकार की भूमिका पर बड़ा प्रश्नचिन्ह, यूपी के किसानों की बदहाली ?

लखनऊ (विमलेश तिवारी) : उत्तर प्रदेश इस समय आवारा पशुओं के संकट से ग्रसित किसानों के दिन रात खेतों में गुजर रहे हैं फिर भी उन्हें कोई सुकून नहीं मिल रहा है वही इंश्योरेंस कंपनियां संकटग्रस्त किसानों का प्रीमियम लेने के बावजूद भी कोई मदद नहीं कर रही है इस स्थिति में किसान किस पर भरोसा करें और यह सब खेल बैंक और इंश्योरेंस कंपनियां मिलकर कर रही हैं ऐसी स्थिति में किसानों की सुध

लेने वाला कोई नहीं है कमोवेश किसानों की डांवाडोल स्थिति से निपटने का कोई प्रबंध नहीं हो पा रहा है यदि यूं ही चलता रहा तो किसान मजबूर होकर एक दिन खेती से मुंह मोड़ लेगा देश मैं अन्नसंकट का उत्पन्न होने की स्थिति में कैसे निपटा जाएगा क्यों की खेती हर समय घाटे का सौदा होती जा रही है किसानों की स्थिति मजदूरों से भी बदतर हो रही है ज्यादातर किसानों के बच्चे अब शहरों की तरफ रोजी रोजगार के चक्कर में पलायन कर रहे हैं स्थिति की

भयावहता को यदि समय रहते भी नहीं निपटाया गया तो तो वह दिन दूर नहीं अन्नदाता पर आए संकट को हमेशा से केवल कागजों पर तरजीह देती सरकाre आखिर हकीकत कब समझेगी किसानों की आवाज को सरकार हर बार दबाने का प्रयास करती है दिन रात मेहनत करने के बावजूद किसानों की स्थिति सुधरने का नाम नहीं ले रही है किसानों की दोगुनी आय के सरकार के दावे फेल हो गए हैं बीज खाद डीजल पेस्टी साइज सब कुछ महंगे हो रहे हैं जिससे लागत के मुकाबले फसल का वाजिब मूल्य ना मिलना भी किसानों की स्थिति को बदतर बना रहा हैl

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