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कैबिनेट : भूगर्भ जल दूषित किया तो 7 साल तक की सजा और 20 लाख तक जुर्माना

राज प्रताप सिंह, लखनऊ ब्यूरो। योगी सरकार ने भूगर्भ जल को दूषित होने से बचाने और रिचार्जिंग के लिए कड़े फैसले किए हैं। भूगर्भ जल दूषित करने पर अधिकतम सात साल की सजा और 20 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। सबमर्सिबल लगाने के लिए पंजीकरण कराना होगा। स्कूल-कॉलेजों, निजी व सरकारी संस्थानों और बड़े घरों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना अनिवार्य कर दिया गया है।


कैबिनेट की मगंलवार को हुई बैठक में उत्तर प्रदेश भूजल प्रबंधन अधिनियम-2020 के तहत बनाई गई नियमावली को हरी झंडी दे दी गई। जलशक्ति मंत्री डॉ. महेंद्र सिंह ने बताया कि भूगर्भ जल स्तर में सुधार हमारी सरकार की प्राथमिकता है। डार्क जोन को सेफ जोन में लाने का लक्ष्य तय किया गया है। इसके लिए नियम-कायदे तय कर दिए गए हैं। किसी भी व्यक्ति को अपने घर पर सबमर्सिबल लगाने के लिए पंजीकरण कराना होगा। किसानों और घरेलू उपभोक्ताओं से कोई भी पंजीकरण शुल्क नहीं लिया जाएगा।


औद्योगिक क्षेत्रों व प्रतिष्ठानों पर शुल्क का निर्धारण मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित राज्यस्तरीय कमेटी करेगी। सबमर्सिबल लगाने वाली सभी संस्थाओं और व्यक्तियों को एक साल के भीतर पंजीकरण कराना होगा। पंजीकरण की यह व्यवस्था पूरी तरह से ऑनलाइन होगी। निर्धारित समय-सीमा के भीतर पंजीकरण न होने पर इसे स्वत: पंजीकृत मान लिया जाएगा।


शहरी क्षेत्र में 300 वर्गमीटर से बड़ा घर बनाने के लिए मकान मालिक अगर सबमर्सिबल पंप लगाता है तो इसमें रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना जरूरी होगा। हर तीन महीने पर उन्हें किए गए बोरिंग के बाबत जानकारी देनी होगी। सरकारी और निजी भवनों का नक्शा तभी पास होगा, जब उसमें रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने का प्रावधान किया गया होगा। इन नियमों का पालन कराने के लिए ग्राम पंचायत, ब्लॉक, जिला और प्रदेश स्तर पर कमेटियां बनाई जाएंगी।


फिरोजाबाद में गलत ढंग से जमीन दिए जाने पर तत्कालीन तहसीलदार शिवदयाल से 1.5 करोड़ रुपये की वसूली होगी। शिवदयाल अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं। उन्हें प्रति वर्ष मिलने वाले लाभों में से दो प्रतिशत की कटौती की जाएगी। कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी गई।


राज्य सरकार के प्रवक्ता व कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने बताया कि वर्ष 2005 में शिवदयाल ने .691 हेक्टेयर जमीन नियम विरुद्ध ढंग से कुछ लोगों को दे दी थी। नियमानुसार इसे यूपीएसआईडीसी की सहमति से ही दिया जा सकता था। इस मामले की जांच वर्ष 2009 में आगरा के आयुक्त को सौंपी गई थी। आयुक्त ने अपनी रिपोर्ट वर्ष 2014 में दी।


इसमें शिवदयाल को मिलने वाली राशि में से प्रति वर्ष दो प्रतिशत की कटौती की बात कही गई थी। लेकिन, लोकसेवा आयोग ने दो प्रतिशत की कटौती सिर्फ दो साल के लिए ही करने की सहमति दी। नतीजतन, प्रस्ताव कैबिनेट में लाया गया। जहां से नुकसान की भरपाई के लिए आयुक्त की संस्तुति के अनुसार प्रति वर्ष दो प्रतिशत की कटौती को मंजूरी दे दी गई।


कैबिनेट की बैठक में सोनभद्र जिले में ओबरा को नई तहसील बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई। प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह ने बताया कि ओबरा वर्तमान में सदर तहसील के अन्तर्गत आता है, जिसके मुख्यालय की वहां से दूरी 140 किलोमीटर है। जनप्रतिनिधियों की मांग पर ओबरा को तहसील बनाने का निर्णय लिया गया। इसका मुख्यालय बिल्ली मारकुंडी गांव होगा। यहां बता दें कि सोनभद्र में अभी तक राबर्ट्सगंज, दुद्धी और घोरावल तहसील ही थीं।


उत्तर प्रदेश राज्य चीनी एवं गन्ना विकास निगम लिमिटेड को हरदोई में 22.6 हेक्टेयर जमीन दी गई थी। आवास विकास परिषद के माध्यम से 2015 में 123.16 करोड़ रुपए चीनी मिल उत्तर प्रदेश उसे वापस करना चाहती थी अब यह जमीन यूपीएसआईडीसी को वापस दी जा रही है। इस पर कैबिनेट ने सहमति प्रदान की।

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