माल /लखनऊ (रामकिशोर रावत) : चार वर्ष में तीन बार एसडीएम ने आदेश किया और स्थलीय पैमाइश भी कराई।लेकिन मामला सुलझ नहीं सका लगातार तहसील दिवस दौड़ रहे पीड़ित पक्ष को कोई राहत नहीं है एक मामला ही ऐसा नहीं है बल्कि तहसील के फील्ड स्टाफ की भ्रष्ट नीति के कई गांव में हालत बिगाड़ दिए हैं।
क्षेत्र के मझीनिकरोज पुर गांव निवासी छेददू लाल का पैत्रक मकान ग्राम समाज की भूमि गाटा संख्या 325 पर स्थित है इनको पड़ोसी गिरधारी लाल व उनके चार बेटे छेददू के कब्जे की सहन की भूमि पर कब्जा कर रहे हैं। छेददू लाल व उनके बेटे भूपेंद्र ने एसडीएम मलिहाबाद को प्रार्थना पत्र देकर समाधान कराने की फरियाद कि वर्ष 2015 से अब तक तीन बार एसडीएम ने प्रार्थना पत्र पर आदेश किया जिसमें एक बार तहसील व पुलिस के संयुक्त रूप से कार्यवाही करने का निर्देश किया फिर भी इस झगड़े का पटाक्षेप नहीं हुआ पीड़ित ने इस मामले की शिकायत आइजीआरएस पोर्टल पर भी की थी क्षेत्रीय लेखपाल ने शिकायत का निस्तारण ऐसी भाषा में लिखा है जिसमें दोनों पक्षों के अलग-अलग हित नहीं साधे जा सकते लेखपाल ने रिपोर्ट में पुरानी आबादी के भूमि गाटा संख्या 325 पर दोनों पक्षों द्वारा कब्जा का दावा बताते हुए सक्षम न्यायालय से अनुतोष प्राप्त करने की सलाह दी गई है। सैमसी गांव में भी एक पुराने मकान के बरसात में गिर जाने के बाद पड़ोसी द्वारा कब्जा करने का मामला भी सिरफुटने के करीब है। कोलवा गांव में पूर्व प्रधान जय जय राम से भी इसी तरह कब्जे का विवाद है सौरा गांव में एक दबंग व्यक्ति ने सरकारी चक मार्ग व नाली की जमीन पर पेड़ लगवा कर कब्जा कर लेने की शिकायत है पीड़ित योगेंद्र सिंह उर्फ जोगी बाबा बताते हैं तमाम शिकायतें करने के बाद भी रास्ता और नाली से कब्जा नहीं हटाया जा सका।
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सांसद आदर्श ग्राम योजना के अंतर्गत चयनित आट गढी सौरा पंचायत के मजरे सौरा गाँव में स्थापित कन्या विद्यालय की भूमि पर भी दबंगों का कब्जा है यहां के निवासी सामाजिक कार्यकत्री सुषमा सिंह ने तहसील प्रशासन को शिकायत देकर जमीन कब्जा मुक्त कराने की मांग की थी इस मामले में लेखपाल ने दो बार जांच की और दोनो जांच आख्याओ को अलग अलग कि जैसे यह मामला सुलझने के बजाय उलझ रहा है।लतीफपुर गांव के बीच से निकले मुख्य मार्ग पर खाद गड्ढे की जमीन स्थित है इस जमीन पर गांव के ही दबंग हरिपाल पाल सिंह ने अपना भवन निर्मित करा लिया है भवन बन जाने के कारण पूरे गांव का पानी निकलने के लिए बनी नाली पूरी तरह बंद है कोटेदार होने के चलते हरिपाल सिंह की तहसील में भी गहरी पैठ है इसलिए जब कोई ग्रामीण शिकायत करता है तो वह क्षेत्रीय राजस्व अधिकारी हजम कर जाते हैं तहसील और थाने में पैसा और रसूख के आगे गरीब पीड़ितों की कोई सुनता नहीं हैं।शुरुआत में जब मामले सामने आते हैं तो उन पर कोई ध्यान नहीं दिया बाद में यही प्रकरण जब विकट रूप धारण कर लेते हैं तो उनके समाधान के नाम पर पैसे का जमकर खेल होता है। वही मुख्यमंत्री द्वारा शिकायतों कि जल्द से जल्द निस्तारण करने का आदेश देते हैं लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि कई सालों से पीड़ित शिकायत लेकर उच्च अधिकारियों के पास दर-दर भटक रहा है लेकिन उनको न्याय मिलने का कोई भी सहारा नहीं दिखाई दे रहा है इस तरह किया जा रहा है मुख्यमंत्री के आदेश का पालन।