लखनऊ (मुकेश कुमार) : एक तरफ जहां मोदी सरकार सबके लिए जल अधिकार की योजना पर कार्य करना चाहती है, वहीं दूसरी ओर भाजपा शासित राज्य उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में पांचवे जलकल निर्माण में देरी होने से लगभग 15 लाख से अधिक लोगों को जल संकट का सामना करना पड़ रहा है। पांचवें जलकल के निर्माण में विलंब होने से राजधानी के आलमबाग, पारा, कृष्णा नगर, वृंदावन
कॉलोनी, सरोजनी नगर प्रथम एवं सरोजिनी नगर द्वितीय के क्षेत्रों में पानी की भारी किल्लत होने से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। दरअसल में अभी तक इस क्षेत्र में अधिकतर लोग भूजल पर ही निर्भर हैं। क्षेत्र में आधे से भी ज्यादा घरों में समर्सिबल पंप व मोटरें ही लगी हैं। जहां रह-रह कर पानी की किल्लत होने पर लोगों द्वारा प्रदर्शन व अधिकारियों के घेराव की शिकायतें मिलती ही रहती हैं। जानकारों का मानना है कि जलकल निर्माण नहीं होने की वजह से जल का दोहन इस क्षेत्र में सबसे अधिक हो रहा है प्रमाण के तौर पर भूजल के घटते हुए लेबल को देखकर लगाया जा सकता है। यहां बताते चलें कि कानपुर रोड स्थित अलीनगर सुनहरा में शहर का पांचवा जल कल तैयार होना प्रस्तावित है। कानपुर रोड पर आसाराम आश्रम के पास
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निर्मित होने वाला यह जलकल 90 बीघा जमीन में बनकर तैयार होना है। शासन की ओर से नगर निगम को 2.5 करोड़ रुपए इस स्थान पर बाउंड्री कराने के लिए पहले ही स्वीकृत किए गए हैं। परंतु क्षेत्र में बढ़ते भू माफियाओं की गतिविधियों के कारण इस पर बाउंड्री भी नहीं हो पा रही है और यहां के कुछ ही हिस्सों में बाउंड्री होने के पश्चात काम पुरी तरह से रोक दिया गया है। नगर निगम लखनऊ के अधिकारियों से क्षेत्रों की जनता चाहती है जल संकट को देखते हुए इस प्रस्ताव को अमृत योजना में जल्द से जल्द भेजा जाए तथा जल संकट को देखते हुए पांचवे जलकल के निर्माण कार्यों में तेजी लाया जाए एवं पांचवे जलकल के कार्य को नगर निगम की प्राथमिक सूची में डाला जाए व इसके निर्माण में तेजी लाने का प्रयास किया जाए। इस जलकल का निर्माण इस क्षेत्र के लिए अत्यंत ही आवश्यक है। जिसपर हमारा नगर निगम ध्यान देने को तैयार ही नहीं है।