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यूपी:कागजी बनकर रह गई शासन की अनेकों योजनाएं

लाभ नहीं मिल पाने की स्थिति में आए दिन लोग अधिकारियों के चक्कर लगाते है चक्कर

राज प्रताप सिंह(उत्तर-प्रदेश राज्य प्रमुख)

लखनऊ। राज्य और केंद्र शासन ने प्रदेश के विकास हेतु कई कल्याणकारी योजनाएं जनता के हितार्थ बना तो दी हैं। यदि जनता को सही तरीके से लाभ मिल मिल जाए तो निश्चित ही लोगों की जिंदगी बदल सकती है।लेकिन उसको अमलीजामा पहनाना संदिग्ध हो चला है क्योंकि सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का कितना क्रियान्वयन हुआ है और उसमें क्या कमी है इसकी सूक्ष्मता से जांच होनी जरूरी है। सरकार द्वारा चलाए जाने वाली अनेक योजनाओं का लाभ आम लोगों को या तो अधिकारियों के उदासीनता के चलते नहीं मिल पाता है या फिर उसमें खाना पूर्ति के चलते लोग इन योजनाओं का लाभ नहीं ले पाते हैं।इस स्थिति के चलते इन योजनाओं को अधिकारियों द्वारा कागजी आंकड़ों में तो सफल बता दिया जाता है मगर आमजन इन योजनाओं से कोसों दूर दिखाई पड़ रहा है। जिसका उधाहरण इस समय तहसील बख्शी का तालाब के अंतर्गत किसी भी ग्राम पंचायत में आसानी से देखने को मिल सकता है।जहां पर अनेक वृद्ध लोग शासन द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का लाभ लेने के लिए भटकते हुए देखे जा रहे हैं। इतना ही नहीं इस बात की सच्चाई ग्रामीण क्षेत्रों में आसानी से देखने को मिल सकती है।जहां पर आए दिन शासकीय कार्यालयों के चक्कर लगाते हुए देखे जाते हैं। जिसके चलते यहां शासन द्वारा चलाई जा रही योजनाओं पर प्रश्न चिन्ह लग रहे हैं। वहीं दूसरी ओर सरकार द्वारा भेजी गयी योजनाओं  से हितग्राही वंचित हो रहे हैं। मगर इसके बाद भी जिम्मेदार माने जाने वाले नौकरशाह और अफसरशाही वर्ग जो कि नेताओं को गुमराह कर योजनाओं की नीतियों को सफल क्रियान्वयन होना तो बता देते हैं परंतु आम जनता को उसका लाभ मिलने का नतीजा शून्य ही होता है जबकि सच्चाई पर गौर किया जाए तो उत्तर प्रदेश शासन ने आम जनता के हितों का ध्यान रखते हुए योजनाओं की झड़ी लगा दी है मगर इसके बाद भी क्षेत्र के ग्रामीण जनों की स्थिति जहां की तहां दिखाई पड़ रही है।तो फिर आखिर में इन योजनाओं का लाभ मिल किसको रहा है गौर करने वाली बात तो यह है कि इन योजनाओं की परिणति क्या हुई होगी इसका अंदाजा पूर्व से लेकर अब तक ग्राम पंचायतों में जनप्रतिनिधि बने बैठे पार्टी के हमदर्द लोगों द्वारा ही शासन की योजनाओं को किस प्रकार से क्रियान्वयन किया गया है। जो मात्र कागजों में तो दिखाई दे रही है जबकि धरातल पर सच्चाई देखी जाए तो कुछ और ही दिखाई दे रहा है। प्रदेश में पंचायती राज की सच्चाई पर गौर किया जाए तो इस समय पूर्ण रुप से भ्रष्टाचार इर्ष्याद्वेष एवं भाई भतीजा वाद के आधार पर चलते दिखाई दे रहे रहे हैं।क्योंकि अनेक पंचायतों में देखा जा रहा है कि पंचायतों के माध्यम से जिन योजनाओं को कार्य सौंपा जाते हैं उनमे यही पाया गया है।

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